मेरे जन्मदिन पर दिया गया
उसका ग्रीटिंग देखता हूँ
और सोच में डूब जाता हूँ।
उसके बालमन ने लिखा या सचमुच उसके लिए मैं
दुनिया का सबसे अच्छा पिता हूँ ?
क्या वो मेरे पिता होने पर लकी है ?
उसकी छोटी छोटी इच्छाओं का
गला घोंट दिया करता हूँ
अपनी वाकपटुता से ,
और वो है कि हर बार मान जाती है।
अपनी खाली जेब
और अपनी बदकिस्मती से रुआंसी हुई प्रतिभा
उसकी मायूसी पढ़ तो लेती है किन्तु
अपने सफल न होने के कारण
उसके भविष्य पर जो स्पीड ब्रेकर खड़े करते जा रहा हूँ
या कहूँ ब्रेकर स्वतः ही बनते जा रहे हैं उसका क्या ?
वो अब नहीं कहती मुझसे कि
पापा आज चॉकलेट खरीद दो
पापा आज किसी होटल में चलो
पापा कहीं आउटिंग पर निकालो
पापा मेरी सारी फ्रेंड कितनी अच्छी अच्छी ड्रेसेस पहनती है
आज ऐसी ही कोई मेरे लिए ले लो,
या फिर कभी उसने कहा हो -
पापा कोई अच्छी पिक्चर देखने चलो
हाँ वह यह जरूर कहती है
पापा पिछले कितने सालों से आपने अपने लिए
कुछ नहीं खरीदा , कुछ नया नहीं पहना
मेरी गुल्लक कब काम आएगी ?
तब सोचता हूँ 'लकी ' कौन है ?
वो या मैं ?
फिर क्यों कहती है वो कि मैं लकी हूँ ?
हाँ, एक समय था जब उसकी हर छोटी मोटी इच्छाएं
पूरी कर खुद में संतुष्ट हो जाता था।
किन्तु आज समय ने ऐसी करवट ली है
कि न नौकरी है , न कोई काम न ही कोई धाम
रोज रोज कड़ी दौड़ धूप
और सतत किये जा रहे प्रयास
उस दुनिया को बेध नहीं पाते
जो मेरे स्वाभिमान को अपनी चौखट पर गिरवी रखने को कहती है ,
जो चाटुकारिता और राजनीति की मलाई मांगती है
और जो नहीं देखती
एक छोटे हुनरमंद भविष्य का
एक पिता की असफलताओं से धीरे धीरे अन्धकार में जाना
या उसके लिए संघर्ष खड़ा कर देना।
यह दुनिया कुछ नहीं देखती।
उसके नन्हे हाथों की उंगली पकड़ जब पहली बार जमीन पर चलाया था
तो सोचा था उसे दुनिया में कभी कोई परेशानी आने नहीं दूंगा।
तब शायद वो लकी थी।
किन्तु आज मेरी वजहें उसके भविष्य में व्यवधान पैदा करने को आतुर हैं
फिर भला कैसे मैं उसके लिए लकी हूँ ?
बावजूद कहती है वो पापा आईएम लकी गर्ल।
और मुझे लगता है
नहीं पगली तुम नहीं हो लकी
बदकिस्मती देखो कि लकी मैं हूँ
और अपने इस लक को भी
पूरी दुनिया न दे सकने वाला
अभागा भी।
(बेटियां सचमुच पिता के लिए लक होती हैं और पिता ??????)