प्रदर्शन इस लोकतंत्र की खासियत है
लोकतंत्र हिंसा से ख़ास नहीं होता।
हिंसा खत्म कर देती है वजूद उद्देश्य का
और खड़ा कर देती है कटघरे में
चोर-उचक्के, बदमाश-लुटेरों की तरह।
लोकतंत्र हिंसा से ख़ास नहीं होता।
हिंसा खत्म कर देती है वजूद उद्देश्य का
और खड़ा कर देती है कटघरे में
चोर-उचक्के, बदमाश-लुटेरों की तरह।
क्या यही बनना चाहा था?
दरअसल, वे सारे तथाकथित नेता, गुरु,उस्ताद, साहित्यकार,बुद्धिजीवी टाइप के पोंगापण्डितों के गिरोह
आज भी तुम्हारी सोच और समझ को हाईजैक किए हुए हैं
और तुम आज भी उनके पीछे अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हो।
आज भी तुम्हारी सोच और समझ को हाईजैक किए हुए हैं
और तुम आज भी उनके पीछे अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हो।
बस इतना भर तो सोचना है
उनकी कठपुतली नहीं बनना है
कि इतने में ही देखो अपना भारत बन जाएगा।
उनकी कठपुतली नहीं बनना है
कि इतने में ही देखो अपना भारत बन जाएगा।
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