शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2018

भेड़ों का वसुधैव कुटुम्बकम

कितने लोगो के पास
कितनी सारी संवेदनाएं हैं
जिन्हे बेहिचक व्यक्त की जाती है।
कितने लोगो के पास 
कितनी सारी हिदायतें हैं
जिन्हे बे हिचक दी जाती है।
कितने लोगो के पास
कितने सारे प्यार हैं
जिन्हे शब्दाकार दिया जाता है।
कितने लोगो के पास
कितना अकेलापन है
जिन्हे दूर नहीं किया जाता है।
कितने लोगो के मुस्कुराते चेहरे
कितने मुखौटों से लदे हैं
जिन्हे उतारा नहीं जा सकता है।
आप आप , मैं मैं
और कितनी सारी तू तू
के बावजूद
कितने सारे लोग हैं जो नहीं समझते
कि समझना आखिर क्या है ?
भेड़ ही भेड़
भेड़ों का वसुधैव कुटुम्बकम

सोमवार, 12 फ़रवरी 2018

हुआ प्रेम अकेला होता है

हुआ प्रेम अकेला होता है
उससे नहीं होता किसीको प्रेम।
क्योंकि होने वाले प्रेम में
करने वाले जैसे तत्व नहीं होते
न ही होता कोई आकर्षण। 
न ही ये मन्मथ है , न रतिसखा
न ही मदन , न ही पुष्पधन्वा
और न कदर्प , न अनंग
ये तो निपट बदरंग होता है।
असंग होता है।
इसलिए नहीं होता अब किसीको प्रेम
इसलिए हुआ प्रेम अकेला होता है।