हुआ प्रेम अकेला होता है
उससे नहीं होता किसीको प्रेम।
क्योंकि होने वाले प्रेम में
करने वाले जैसे तत्व नहीं होते
न ही होता कोई आकर्षण।
न ही ये मन्मथ है , न रतिसखा
न ही मदन , न ही पुष्पधन्वा
और न कदर्प , न अनंग
ये तो निपट बदरंग होता है।
असंग होता है।
उससे नहीं होता किसीको प्रेम।
क्योंकि होने वाले प्रेम में
करने वाले जैसे तत्व नहीं होते
न ही होता कोई आकर्षण।
न ही ये मन्मथ है , न रतिसखा
न ही मदन , न ही पुष्पधन्वा
और न कदर्प , न अनंग
ये तो निपट बदरंग होता है।
असंग होता है।
इसलिए नहीं होता अब किसीको प्रेम
इसलिए हुआ प्रेम अकेला होता है।
इसलिए हुआ प्रेम अकेला होता है।
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