चित्र -कैट एम |
वो हैं
इसलिए अहसास नहीं है कि
जिनके पास नहीं उनका दुःख कैसा।
वो हैं
इसलिए है सारा गुस्सा ,
जिद और इच्छाएं ।
जिद और इच्छाएं ।
ज़रा पूछ भर लेना
जिनके पास नहीं है
उनके गुस्से का प्रभाव है भी या नहीं ?
उनकी जिदो का अर्थ है भी या नहीं ?
उनकी इच्छाएं पूरी होती भी है या नहीं ?
वो हैं
इसलिए दिए जाते हैं दुःख उन्हें
इसलिए रूठ जाया जाता है
इसलिए अपनी चाह मनवाने के लिए
पीड़ा पहुंचाई जाती है
और वो हैं
इसीलिये तुम हो , छाहँ है
तुम्हारी सारी चाहते हैं
मान है मनौव्वल है।
जिनके पास नहीं है
ज़रा पता करना
कौन पूछता है उनसे
इतने प्यार से कि
भूखा है -कुछ खा ले ...
वो हैं इसीलिये
अपनी जिद ,
अपने गुस्से ,
अपने अहंकार ,
अपने रौब ,
अपने सारे दर्द -दुःख देने वाले कृत्य
अपने सही होने के प्रमाण देते हैं।
वो नहीं होंगे तो
कौनसा आधार रह जाएगा ?
कौन तुम्हारे गुस्से
तुम्हारी जिदो और
तुम्हारी बेतुकी हरकतों को सहन करेगा ?
रात जब अकेले हो तो
अपने सारे बेवक़ूफीभरे विचारों को परे रख
उनके न होने के अहसास की कल्पना करना
क्षणभर ही सही।
फिर तुम सही हो या न हो
जो चाहे मान लेना।
स्मरण रखें
मां-बाप के रहते ही तुम बच्चे हो
बड़ो और बूढ़ो को पूछता कौन है।