बुधवार, 2 नवंबर 2011

प्रेम

न्याय, वैशेषिक, सांख्य हो
या योग मीमांसा
वेदांत जैसे वैदिक दर्शन
घुस टटोला।

इन्हें नकारने वाले...
चार्वाक, जैन, वैभाषिक
सौत्रांतिक, योगाचार और
माध्यमिक जैसे
अवैदिक दर्शन की पनाह भी ली
किंतु मिला नही
उसका ओर न छोर।

खपा दिया खुद को
सिर खुजाखुजा..,

पट्ठा मिला भी तो कहां
कबीर की झोपडी में
गुनगुनाता हुआ-
पोथी पढ-पढ जग मुआ.......।