शनिवार, 3 नवंबर 2018

पुरुष की पीड़ा

पुरुष की पीड़ा
घुप्प अँधेरे में होने वाली घटना है।
वह इतनी एकाकी है कि
उसे स्वयं पीना है।
घूँट की कोई प्रतिध्वनि नहीं।
प्रचारित नहीं है वो
और न ही लेखनी से
प्रसारित की जा सकती है।
वो हलक में रोक देने वाली
नीलकंठी प्रक्रिया है।
पुरुष की पीड़ा
कोख में दफ़्न हो जाने वाली
अबोली स्थिति है ।
(टुकड़ा टुकड़ा डायरी/28 जुलाई 18)

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