शनिवार, 3 नवंबर 2018

ठोकर

तुममे
मुझमें
एक बुनियादी फर्क है।
हुनरमंद हाथों के
छैनी हथौड़े से उकेरी गई
मूरत की तरह हो तुम।
मैं
ठोकरों से
तराशा चला जाता गया
एक पत्थर ।
(24 sept 18)

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