पीड़ाएं बाहर नहीं दिखती । अन्तस् का रास्ता इतना सँकरा है कि कौन पहुंच सकता है ? तिस पर घुप्प अँधेरा। जब हाथ को हाथ नहीं सूझता तब कैसे सूझेगा किसी का सन्नाटा? खैर छोडो .. आओ, बैठो चाय पियो !
जब दुनिया गहरी नींद सोती है, तब किताबें मेरा साथ निभाती हैं...
गाती है, गुनगुनाती है, किताबें जीना सिखाती हैं..
सवॉधिकार सुरक्षित है।
------------------------------------- मेरे इस ब्लौग "अमिताभ-कुछ खास है" पर प्रकाशित समस्त आलेख पर मेरा सर्वाधिकार सुरक्षित है। मेरी अनुमति के बगैर इस ब्लौग के किसी भी आलेख का कहीं भी किसी तरह का उपयोग वर्जित है। इस ब्लौग का या इस ब्लौग के किसी भी आलेख का लिंक के तौर पर मेरे नाम "अमिताभ" के साथ किया जा सकता है। -----------------------------------------------------------
मिलती है जब, कुछ मौज़ औ' कुछ मस्ती
कृपा उस ईश की, जो हम पर् है बरसती
आपके आशीर्वाद
" जिनके चरणों मे झुका ये शीश है, पिता ही मेरे गुरु, मेरे ईश हैं,है ये सौभाग्य मेरा कि मेरे,कदम-कदम उनके आशीष हैं.. " ( सालों पुरानी ये तस्वीर है, इस तरह की यह एकमात्र तस्वीर)
फ़ॉलोअर
याद रहेंगे हम भी जवां थे कभी।। चलो, इक तस्वीर जड़ कर लगा दें अभी।।
लम्बा जीवन मुंबई के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में पत्रकारिता को दे डाला। दूरदर्शन के लिये ढेर सारी डाक्यूमेंट्री लेखन के अलावा आकाशवाणी मुम्बई के ;खेल पत्रिका; कार्यक्रम का लगातार 3 साल तक संचालन , दूरदर्शन के लिये ही दो-तीन धारावाहिक लेखन जिनमे करगिल युद्ध के बाद बनाया गया 'वीरो तुम्हे सलाम' सबसे बेहतरीन । फिलवक्त पठन और लेखन। व्यस्त रहने को सबसे बडा सुख मानता हूं। रह कर देखें..मज़ा आयेगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें