रविवार, 16 दिसंबर 2018

मछलीमार

मुसोलिनी या हिटलर नहीं थे तानाशाह
मार देना शौक बड़ा नहीं जितना कि तड़पाना।
तानाशाह तो वो हैं
जो बिना जाल और कांटे के
फांस लेते हैं मछली
उस्ताद शिकारी की तरह दोस्ती का लालच देकर।
हाँ, देखो
न बेचते हैं , न खाते हैं
छोड़ देते हैं पानी से बाहर निकाल कर।
और तड़पते देखना उन्हें
नृत्य सा अनुभूत होता है।
उफ्फ,
फिजूल बदनाम हैं हिटलर जैसे ...!
ओ, दुनिया के सारे दोस्तों
तुम एकबार हिटलर बन जाना
किन्तु मत बनना कभी ऐसे मछलीमार!
(24 oct 2018)

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