रविवार, 16 दिसंबर 2018

प्रेम दुबारा बरसेगा

दुविधाओं के मेघों से घिरे
आसमान को
कौन समझेगा?
अहंकार नहीं ये मेरा
प्रतीक्षा है बस कि
प्रेम दुबारा बरसेगा ।
【टुकड़ा टुकड़ा डायरी/4अक्टूबर 2018】

कोई टिप्पणी नहीं: