रविवार, 16 दिसंबर 2018

आभास

आभास
कि तुम हो
तुम हो..?
पूजा,पाठ
प्रार्थनाएं
आस्था,श्रद्धा जगाती है।
तुम नहीं जगे
सोए हो
इसलिए आभासी हो।
उठोगे?
कि प्रेम छटपटा रहा है
कि मन विचलित है
कि दर्द बह रहा है
एक बार
कह ही दो
कि तुम हो...
(8 Oct 2018)

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