रविवार, 16 दिसंबर 2018

दिन हो जाता है

सुबह लिखती है 
आसमान पर कविता
सूरज बिंदी बन छाता है।
कोई टिटहरी कंठ खोल गाती है
और दिन हो जाता है
( 22 nov 2018)

कोई टिप्पणी नहीं: