रविवार, 16 दिसंबर 2018

देश-काल-कलयुग


बेवजह बदनाम करना
वजह बना देता है दुश्मनी की।
आओ देखें कितना दम तुम्हारे झूठ में है
और कितना सच हमारे पास है।
जिन सबूतों को लेकर इतरा रहे हो
उन्ही सबूतों में तुम्हारे भी खिलाफ
पुख्ता शब्द हैं स्मरण रखना,
याद ये भी रखना कि
शीशे के घर में हो और पत्थर चला रहे हो।
खामोशी में डूबे आलम को
उसकी नियति मत मान बैठना
उठेगा तूफ़ान तो इसकी जद में
तुम्हारा पूरा वजूद भी तबाह होगा ।
बहादुरी की डींगें हांकने वाले
देखें खूब है जीवन में।
उठे तूफानों से खूब रस्ते बनाए हैं
ताल ठोंक कर अखाड़े में
उतरना हमे भी आता है,
तुम्हारी खूबसूरत चालबाजियों के उठे फन को
कुचलने का दांव
सीखा है जिंदगी के बेहतरीन कोचों से ।
भोले और साफझग मेकअप के पीछे का सच
काजल है या कोयले की कालिख
वक्त के परदे पर अंकित है।
देखते हैं -
फिल्म शुरू तो होने दो!
( 9 OCT 2018)

कोई टिप्पणी नहीं: