रविवार, 16 दिसंबर 2018

जियो ऐसे

तुमने कांटो में देखा क्या प्यार
पाया क्या सूखे झाड़ झंखाड़ में सौंदर्य ?
निर्जन पड़े हिस्से में कभी जाकर पूछा क्या
कैसे हो?
दिखी क्या
अकेले रास्ते, पड़े पत्थरों, खड़ी सूनी बदसूरत सी झाड़ियों में बिखरी मुस्कान?
तुम्हारे आने से जिनका एकांतवास पूर्ण हुआ
लंबी राहत भरी उनकी सांस की आवाज़
सुनी क्या?
सुनो!
रुको वहां ,जहाँ कोई नहीं रुकता
जाओ वहां जहाँ कोई नहीं जाता
सुनो उन्हें, जिन्हें कोई नहीं सुनता..
हाँ इन्हीं की तरह सीखो भी कि
जियो ऐसे जैसे कोई नहीं जीता ।

(18 nov 2018)