शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

समय

वो पहले था
क्योंकि समय परिवर्तित है 
अब भी वैसा ही हो या रहे सम्भव नहीं।
इसलिये 'था' से 'है' की तुलना करना 
और 'है' को 'था' बना देना उचित नहीं ।
इसे ही स्वीकारो
जो है ।
और जब जब
'है' को 'था' से जोडते हुये
किसी काम का न मानना स्मरणीय होता है
आप अपने आप को छल लेते हैं
क्योंकि तब आप 'है' के साथ अन्याय ही नहीं बल्कि उसकी हत्या कर देते हो ।

1 टिप्पणी:

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सामयिक एवं सटीक रचना !