सातिया मांड (बना)
पटा रख
उस पर आसन बिछा कर
बैठाती थी मां,
आरती उतार कर
तिलक लगा
ढेर सारे अशीर्वाद बुदबुदाती,
मुंह में मीठाई रख देती,
फिर चारों दिशा में
धोक (प्रणाम) दिला
पीठ पर हाथ धर
अपने भगवान से
मेरे लिये कितनी
दुआयें मांगती,
मुझे नही पता।
कहती
आज के दिन
कोई संकल्प लो
और अपनी कोई भी
बुरी आदत छोड दो।
उसके आशीर्वाद
लिये मैं
बढता रहा,
लडता रहा,
जीतता रहा।
मगर न कोई
संकल्प ले पाया
न बुरी आदतें छोड पाया।
अब
जब वर्षों से दूर हूं
हर बार 'आज' उनकी
ज्यादा याद आती है,
बहुत ज्यादा
बहुत ही ज्यादा
याद आती है।
यहां रहने की
कैसी मज़बूरी है,
और क्या ये जरूरी है?
पता नहीं।
सोचता हूं,
ज्यादा सोचता ही हूं कि
दौड कर चला जाऊं
उनके पास।
कम से कम 'आज़' के दिन।
फोन पर और उनके मन मे
हर-हमेश आशीर्वाद
रहते ही हैं,
पर आज़ का विशेष दिन है,
आज फिर वो मुझे अशीर्वाद देंगी
और संकल्प व बुरी आदत
छोडने को कहेगी,
मैं भी चाहता हूं
अब संकल्प ले ही लूं,
अपनी कोई बुरी आदत
छोड ही दूं,
उनके साथ रहने का संकल्प
और छोडने में
मुम्बई रहने की
बुरी आदत।
किंतु...
न जाने कब
मेरी ये मुराद
पूरी होगी?
न जाने कब?
( जब घडी में रात के 12 बजे थे यानी 19 अगस्त शुरू हो गया था कि फोन की रिंग चहक उठी। मेरी अज़ीज़... ममता की बधाई, फिर तुरंत सुशील छोक़्कर जी की शुभकामनायें...सुधीर महाजन का एसएमएस.....मेरे इस दिन को खुशनुमा कर गये। घर से माता-पिता-बहन-भाईयों के आशीर्वाद प्राप्त हुए जो मेरी शक़्ति हैं।
मेरी बिटिया अपनी मम्मी के साथ एक दिन पहले से इस दिन की तैयारी में लग जाती है। बिटिया के लिये तो मानों कोई उत्सव हो। मुझसे छुपाकर अपने हाथों से ग्रीटिंग बनाना, मेरी जरूरत के हिसाब से कोई गिफ्ट लाना, और सोकर उठूं इसके पहले मेरे कान में अपनी आवाज़ में रिकार्ड की हुई बधाई लगा देना....., फिर ग्रीटिंग ...फिर गिफ़्ट..फिर मीठाई....फिर...., सच तो यह है कि माता-पिता के आशीर्वाद ही इस रूप में फलते हैं। और जब कोई मुझसे पूछ्ता है कि जीवन में तुमने कमाया क्या? तो मैं अपने अज़ीज़, मित्रों के नाम ले लेता हूं, यही सब तो मेरी पूंजी है।)
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
4 दिन पहले
25 टिप्पणियां:
बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
........ अपने अज़ीज़, मित्रों के नाम ले लेता हूं, यही सब तो मेरी पूंजी है।)
asha karta hoon ki is kamai main chand sikkey hamare naam ke bhi hon...
..khote hi sahi.
Janmdin ki hardik subh kamnaaiye..
boht hi khoobsurat kavita...ahsaaso se bhari huee...
अद्वितीय रचना है
---
मानव मस्तिष्क को पढ़ना अब संभव है
जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाये ।
दर्पण जी ने acha सुझाव दिया है |
मुम्बई रहने की बुरी आदत।
जीवन को देखने का अलग ही नजरिया है आपका |
माता पिता के आशीर्वाद ही जीवन को सुखी और समर्द्ध बनाते है| बहुत ही भावः पूर्ण कविता है ,और ये संस्कार ही मुंबई में
रहते हुए भी अपनी जड़ो से जोड़ते है |
पुनः बधाई और आशीर्वाद |
अमिताभ जी ......... आपको बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.............. बहुत ही भावोक और मन की छूने वाले पल उतारे हैं आपने इस यादगार रचना मैं ........... सच में जब इंसान बड़ा हो जाता है, अपनी व्यस्तता में खो जाता है ........ तब ऐसे पल बहुत याद आते हैं ..... बचपन की याद, माँ का दुलार ............ आज वो कुछ भी नहीं मिल पाता इस भागम भाग जीवन में .......... .
जन्म दिन की बहुत-बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाये.
pahle to aapko badhayi aur subhkaamna...
aapki rachna pasand aayi... bhaavo ki abhivyakti uttam hai...
माँ बेटे के रिश्ते को कितनी सुदंरता से शब्दों में पीरो दिया आपने। सच पूछिए तो एक ही रचना में कई गहरी बातें कह दी। माँ बेटे का प्यार और जीवन जीने की मजबूरी।
उसके आशीर्वाद
लिये मैं
बढता रहा,
लडता रहा,
जीतता रहा।
मगर न कोई
संकल्प ले पाया
न बुरी आदतें छोड पाया।
यही तो जीवन की त्रासदी है। यही जीवन जीने की मजबूरी और जीवन जीना जरुरी है। ये मुरादें भी नीली छतरी वाले के कानों में जाती होगी पर उसकी भी मजबूरी है। खैर आपकी रचना दिल में उतर गई।
जब कोई मुझसे पूछ्ता है कि जीवन में तुमने कमाया क्या? तो मैं अपने अज़ीज़, मित्रों के नाम ले लेता हूं, यही सब तो मेरी पूंजी है।
सच पूछिए अमिताभ जी एक आप ही मिले है जिसने ये कहा नही तो सबके लिए पूंजी कुछ और ही होती है। आपकी इस बात ने मंत्रमुग्ध कर दिया जी। और क्या कहे जी मारे खुशी के .........
संकल्प की अपेक्षा
हम विकल्प की और
तेजी से प्रवृत्त होते है !
विकल्प की अपेक्षा
आपका संकल्प समर्थ हो
प्रार्थना है उच्चासीन से !
amitabhji ,janmdin ki hardik bdhai ...aapka vyaktitva me prchhaiya hai mata pita ke aashirwad ki ,jo hmesha rhti hai jivan ke andhero me ,jivan ke ujale me hai duanye dosto ki ,,,,,,kamana mumbai ,,,,,,
दौड कर चला जाऊं
उनके पास।
कम से कम 'आज़' के दिन।
सच में अमिताभ जी मन में ऐसे ही भाव आते हैं, इस ख़ास दिन पर.
माँ की याद बहुत आती है.
१९ को आप का जन्मदिन था और २० [यानिआज] मेरा .
आप को जनमदिन की ढेर sari बधाईयाँ.ईश्वर आप को खूब खुशियाँ दे. आप को हर मन मांगी मुराद मिले..
शुभकामनाओं सहित.अल्पना
बहुत सुंदर भाव और एहसास के साथ दिल को छू लेने वाली इस शानदार रचना के लिए बधाई!
आपको जन्मदिन बहुत बहत मुबारक हो और ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
मेरे नए ब्लॉग पर आपका स्वागत है -
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
प्रिय अमिताभजी ,
जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं, जीवन के सौ वसंत आप यूंही हंसते खेलते, साहित्य सेवा करते प्रेम पूर्वक संपादित करें ऐसी ही कामनाएं हैं | १९ अगस्त का दिन शहनाई उस्ताद श्री बिस्मिल्लाह खान का भी जन्मदिन है | आप भी उतनी ही ख्याति और उन्नति पायें और पथ पर अग्रसर हों |
आपका अनुज -- पंकज
बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं......
bahut bahut badhaai saath hi marmsparshi rachana padhwane ke liye shukriya .aesi mamta ko shat -shat naman .shabd nahi is bhavana ke liye jo kuchh kah sakoon .
Bhaiyya,
aapka janmdin tha? mujhe to pata hi nahi tha. Janamdin ki dhero badhaayi. der se hi sahi..dua to hamesha kaam aati hai. khoob tarakki kijiye...man se.. aur ishwar aapke man ki shaanti banaaye rakhe hai.. aur aapki positive urja hamesha barkaraar rahe. aap un sab ke liye prerna strot hain jo aapke aas paas hain aur mere liye bhi..
apni kavita par aapki tippni dekhi to bhaagi chali aaayi..aayi to pata laga aapka janmdin tha 5 din pehle.
aapki bahut izzat karti hoon bhaiyya..aap mera blog padhte hain, kayi baar kuchh ajeeb ajeeb se khyal dil mein uthte hain aur wo sab likh jaati hoon. par aapki tippni dekh ke ek ajeeb si laaj ki bhaavna aayi. jaise tab aati thi jab 'kabhi kabhi apne kamre mein naaachti thi gaana laga ke aur papa achaanak se kamre mein aa jaate the to ekdum sharma ke doosre kamre mein chali jaati thi'
pata nahi aapko meri baat samajh aayi ki nahi.. bas yahi kehna chaahti hoon ki aap bahut maayne rakhte hain mere liye bhaiyaa aur aapka aas paas hone bahut sukoon deta hai..chaahe shabdo ke zariye hi ho.
Khayal rakhiyega apna
Aapki behen
Kajal
Bhaiyya,
main aapki baat bakhubi samajhti hoon.. aur aap mere liye bahut hi anmol hain.. aapke vichaar bhi.. bus hamesha likhti rahoon yahi chahti hoon.. mere shabdo ka mahatva sirf is baat mein hai ki main jo bhi likhti hoon use poori tarah se mehsoos karti hoon aur aap is baat ko khoob achhi tarah se samajhte hain..
aapka aas paas hona bahut maayne rakhte hai.. aapki maujudi bani rahe bus.
Kajal
hamaare paas aa jao naa amitaabh.... muraad kee muraad poori ho jayegi...aur bhoot ke bhoot bhi ban jaaoge....khair man ko tassali hui apki kavita dekhkar ki in arthon men bhi koi kisi ko yaad kartaa hai....!!
अमिताभ जी,
मैं देर से ही सही? अलबत्ता फोन पर बतिया लिये हैं।
हो सकता है कि इस वर्ष कोई संकल्प लिया हो और वो पूरा भी हो जाये, यही दुआयें हैं। माँ-पिता का आशीर्वाद सदा बना रहे यही कामना है।
बड़ा अच्छा लिखा है सिर्फ इतना ही फेर है कि हम गुलगुले खाते रहे और आप मिठाई बाकि रीतियाँ तो वैसी ही हैं।
जन्मदिवस पर पुनश्च बधाईयाँ।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं ......आज के दिन माँ को समर्पित कविता भावुक कर गयी ....!!
ye sach hai..ki parivaar shakti hota hai...aur bachche apne mata pita ka janm din tyohaar ki tareh manate hain...unka utsaah dekh kar ehsaas hota hai ki unki zindgi me hum kya hain...khud se pyar ho jata hai....
itni lambi zindgi me ek hi baat samajh aayi hai...mata pita ka sthaan koi nahi le sakta....isliye shayad insaan ko koshish bhi nahi karni chahiye..... unke bina jeene ki mazboori ho sakti hai...par Aadat..kabhi nahi...!!
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