मंगलवार, 8 अक्तूबर 2013

तिकड़ी

1, तुम्हें जो प्रेम था मुझसे / 
इतना कि बस्स... / 
किधर है ? 
अब मैं ढूँढने लगा हूँ /

2, प्रेम 
विशेष दिन ज्यादा 
उमड़ता है /
विशेष दिन 
विशेष न रह जाएँ तब ?
शायद इसलिए 
आजकल मुझसे 
छूती नहीं हवा उनकी /

3,सारी बातें,
तब ज्यादा खोखली होने लगती है 
जब जरुरत पर 
वे काम नहीं आती /

2 टिप्‍पणियां:

विवेक रस्तोगी ने कहा…

वाकई प्रेम किसी विशेष दिन ज्यादा ही उमड़ता है।

जयंत - समर शेष ने कहा…

Aaah kyaa baat hai..