न्याय, वैशेषिक, सांख्य हो
या योग मीमांसा
वेदांत जैसे वैदिक दर्शन
घुस टटोला।
इन्हें नकारने वाले...
चार्वाक, जैन, वैभाषिक
सौत्रांतिक, योगाचार और
माध्यमिक जैसे
अवैदिक दर्शन की पनाह भी ली
किंतु मिला नही
उसका ओर न छोर।
खपा दिया खुद को
सिर खुजाखुजा..,
पट्ठा मिला भी तो कहां
कबीर की झोपडी में
गुनगुनाता हुआ-
पोथी पढ-पढ जग मुआ.......।
ख़ास दिन …
3 दिन पहले
8 टिप्पणियां:
गहरी अभिवयक्ति.....
पट्ठा मिला भी तो कहां
कबीर की झोपडी में
गुनगुनाता हुआ-
पोथी पढ-पढ जग मुआ.......।
Wah!
इन्हें नकारने वाले...
चार्वाक, जैन, वैभाषिक
सौत्रांतिक, योगाचार और
माध्यमिक जैसे
अवैदिक दर्शन की पनाह भी ली
किंतु मिला नही
उसका ओर न छोर।
टिपण्णी लिखने के लिए मुझे भी सर खुजाना पड रहा है कि इतनी गहरी बातों पर क्या प्रतिक्रिया करूँ
बस लाजवाब सोचने को मजबूर करती पोस्ट
'प्रेम 'को खोजना भी अद्भुत रहा...जब मिल गया तो कठिन मार्ग की सब तकलीफें भी भूल जाते हैं.
गहन अभिव्यक्ति..
जाको जेता निरभया ताको तेता होय, रत्ती घटे न तिल बढे जो सिरकूटे होए...
nice click.............
this is good lines for shear it to everyone...........
its touch my heart when i m read.....
एक टिप्पणी भेजें