गुरुवार, 31 दिसंबर 2009

नए साल का सूरज

चलिए मै भी
मना लेता हूँ,
या यूं कहू
मान लेता हूँ
इस नव वर्ष को|

वैसे तो
रोज़ ही
उगता है अलसाते हुए
और किसी
मजदूर की तरह
दिनभर थक कर चूर
शाम होते होते
ढह जाता है वो,
अब खुमारी में
डुबो को कहा दीखता है
नए साल का सूरज?

20 टिप्‍पणियां:

श्यामल सुमन ने कहा…

नये साल की नव किरणों से नया जोश संचार।
सुमन हृदय की यही कामना सुखी रहे परिवार।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आता तो रोज़ ही है अमिताभ जी ........ पर क्या पता किस रोज़ किस्मत के ताले की चाभी साथ ले आए ये सुबह ........
नव वर्ष बहुत बहुत मंगलमय हो ..

"अर्श" ने कहा…

naye saal ki alsayee nayee subah dhero shubhkamanayon ke saath hazir hogi ... mubarkaa ji


arsh

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

सुन्दर रचना है..बधाई।


आपको व आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

Udan Tashtari ने कहा…

बढ़िया!

वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

- यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-

नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!

समीर लाल
उड़न तश्तरी

संगीता पुरी ने कहा…

अच्‍छी रचना .. आपको और आपके परिवार के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सुंदर, नये साल की रामराम.

मीत ने कहा…

यूं तो रचना बहुत खूब है...
पर अगर थोड़ी आशा वाली होती तो मजा आ जाता...
उत्तम रचना के लिए बधाई...
मीत

सुशील छौक्कर ने कहा…

वाह जी वाह नए साल पर भी एक रचना लिख डाली। एक हम है कि बस ....। खैर रचना गजब की है। प्रतीकों के इस्तेमाल में आपका जवाब नही।
सच मजदूर के लिए क्या नया दिन, क्या नया साल। उसने तो रोज कमाना है और रोज खाना है।

शोभना चौरे ने कहा…

चलिए मै भी
मना लेता हूँ,
या यूं कहू
मान लेता हूँ
इस नव वर्ष को|
manna to padega hi soorj sari duniya jo kah rhi hai nya sal aa gya hai .
majdooro ke dard ka ahsas karti achhi rachna .

अपूर्व ने कहा…

सही कहा है आपने..मगर यह इस बात पे भी तो निर्भर करता है कि खुमारी कड़ी मेहनत की नींद की है या विलासिता के नशे की
खैर आप मनाये या माने या न माने हम तो आपको नये साल की शुभकामनाएं दे कर ही जायेंगे.. :-)

Alpana Verma ने कहा…

बहुत सुंदर रचना!

अमिताभ जी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

गौतम राजऋषि ने कहा…

नव-वर्षानुकुल रचना अमिताभ जी।

जयंत - समर शेष ने कहा…

Waah waah.. aap nahin badale... aur badaliyegaa bhi nahin..

Nav varsh mangalmay ho!

Aadar sahit,
~Jayant

बेनामी ने कहा…

नव वर्ष कि हार्दिक शुबकामनाएं. मै भी आपके विचारो से सहमती रखती हू, हर दिन एक नया रंग ले आता है. आभार जो आप मेरे ब्लॉग पदारे और एक सुन्दर सी टिपण्णी दी.

ज़मीर ने कहा…

धन्यवाद। सुंदर रचना। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

Naina ने कहा…

bhaiyya,

main fir aa gayi aapko pranaam karne.. aap mujhe bhoole nahi dekh ke kitna achha laga.. shaadi ho gayi hai.. zindagi ke kayi naye panne likhne ka mauka mile.. kayi naye rishto ki dor mein khud ko baandha..aur khushi hai ki sabke dil mein apne liye zara si jagah bana li hai.. dher sara pyaar mil raha hai.. bhugwaan kare in sab logo ki khushiya aise hi barkaraar rahe.. mujhe jo wada apne aap se karna chahiye wo main aapse kar deti hu.. ki ..bhaiyya ab jo bhi zimmedaariya mere saamne aayengi, main un sabko saharsh sweekar karungi aur zindagi ki har kasauti par khari utarne ki bharsak koshish karungi..

aapko bhut yaad kiya maine..
aapki behen
Kajal

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

अमिताभ जी, आदाब
आज आपके ब्लाग पर आने का इत्तेफाक हुआ
नये साल का सूरज, राजनीति का त्रिफला,
कुपोषण, विरह, कंक्रीट क्रांति
आदि काव्य रचनाओं को देखा
आपके चिन्तन ने काफी प्रभावित किया है.
अब तो ये सिलसिला बना रहेगा,
बस आप लिखते रहिये
बधाई
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

रचना दीक्षित ने कहा…

अमिताभ जी मेरे ब्लॉग पर आने और बहुत सुंदर टिप्पणी के लिए धन्यवाद. आपकी कविता और नव वर्ष सन्देश दोनों ही बहुत अच्छे लगे बधाई

शरद कोकास ने कहा…

खुमारी मे डूबो हुओं को हैंग ओवर मे सूरज नही चान्द दिखता है ।