अपने माता-पिता के पास था, इसलिए संसार से दूर था॥
आज ही लौटा हूँ, ब्लॉग देखा, अपने आदरणीय, प्रिय, मित्र, स्नेही, शुभचिंतक और कुछ नए पाठको ने अपना स्नेह बनाये रखा है, जो मेरे लिए सोभाग्य की बात है।
मै अपने ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ, और उम्मीद करता हूँ आप सबका स्नेह बना रहेगा। सुधीर, vijay kumaar, प्रवीण त्रिवेदी, sandhya guptaji , shyamkoriji, अनिल कान्तजी ,समीर सृज़नजी , ब्रजमोहन श्रीवास्तवजी ,कुमार धीरज, हेम पांडेजी, विनीता यशस्वी ,रंजनाजी, आदि सभी का आभारी हूँ जो आपने समय निकाल कर मेरी रचना पढ़ी और अपनी टिप्पणिया दी।
विशेषरूप से गौतम राज ऋषिजी , दिगंबर नासवाजी का ब्लॉग पर आना मेरे लिए हमेशा से ही सुखद अनुभूति रही है। और हां प्रिय काजल का मेरे शब्दों के संग सफ़र अलग ही अहसास दिलाता है। सबका आत्मीय आभार। आप सबका प्रेम बना रहे यही कामना है।
ख़ास दिन …
3 दिन पहले
9 टिप्पणियां:
आ गए और बताया भी नही। खैर कोई गल नही। और सुनाओं घर में वहाँ सब ठीक है। गाँव के क्या हाल है ....
अमिताभ जी
आपका तो इंतज़ार बहूत समय से था. काफी समय दूर रहे पर अच्छा लगा आप अपनों के साथ थे. माता पिता का साथ जितना भी मिले संजीवनी से कम नहीं होता.
अब प्रतिख्श है आपकी सुन्दर रचनाओं की
जी आप आये औऱ बता दिया ये क्या कम है । मै भी आपके आगमन पर यह पोस्ट लिख रहा हूं उम्मीद है कि आप गांव जाकर कुछ सुन्दर पल,कुछ बसंती हवाओ,खेत खलिहानो का मजा जरूर लिया होगा । धन्यवाद
आपको तो काफी वक़्त लगा , अमिताभ जी . मैं तो इंतज़ार कर ही रही थी... मेरे कविता ' दूभ पर ओस की बूँद सा' ज़रूर पढियेगा . आपको समर्पित है. जान कर अच्छा लगा की पिता जी की तबियत में थोडा सुधार है और बड़े भैया ख्याल रखने के लिए पहुँच गए हैं. आप दिल पर कोई भोझ मत रखियेगा. घर से संपर्क बनाये रखियेगा. पिता जी जल्दी ही पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जायेंगे . आपकी वापसी बहुत ही हर्ष का विषय है. अब जल्दी से कुछ लिखिए अपने ब्लॉग पर ताकि आपकी कविताओ का आनंद उठा सकू. मेरी कविता पर आपने चर्चा की ? ज़रूर बताइयेगा उस विषय में . आपके शब्दों का इंतज़ार रहेगा.
काजल
amitji
aaj mai aur meenu subah se hi aap ko yad kar rahe the .meenu ko aap ke blog ke bare me samja raha tha. prarambh me mummi aur papa ka photo dekhkar khus ho gai aur unki yadon me kho gai. maine aap ko bahut dino bad dekha , kabhi prabhavsali vyaktitva dikha, ye aapki sahitya ke prati deewanapan v utkrushta likhani ka prakash tha jo aankho me chamak raha tha. aap ko kavitai padkar bahut khusi hui. pahle bhi blog ko visit kiya tha parantu comments send nahi ho pai, kuch technical problem raha hoga, sorry for that.
papaji kaise hai.
aap khus raho , khub pragati karo yahi devain hai . God bless you.
Girish yadav, NSP, mumbai
Welcome.........
वापसी पर स्वागत है ...!!
" बडी मुश्किल से
दुःख को सुला आया हूँ,
तुम्हारे लिए
कुछ सुख चुरा लाया हूँ।
इस सुन्दर रचना के बाद अगली रचना का इंतजार है ....!!
Aap mata-pita ke pas the,sansar se dur the parantu Ishwar ke pas the.
Likhte rahiye.
भाई
जब से मिले हैं, कहीं गए ही कहां?
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