बुधवार, 7 जनवरी 2009

बिटिया



बिटिया मेरी

जीवन का शगुन है

जेसे कृष्ण की

बंशी से बजती धुन है

4 टिप्‍पणियां:

Pawan Nishant ने कहा…

अबे प्यारे,
क्या ब्लाग मारा है। मैं कई महीने पुराना ब्लागर जरूर हूं, पर पहली बार किसी अपने को ब्लाग पर पाकर बहुत खुशी मिली है. इसमें भी तुम कविता लिखते हो, यह पहली बार पता चला है। मैंने पूरा ब्लाग पढ़ा है, पर बिटिया की कविता ने झंकृत कर दिया। उन चार लाइन को परिभाषित करने के लिए मेरे पास शब्द ही नहीं हैं, सो मैंने उन्हें अपनी डायरी में उतार लिया है। रात्रि में समय मिला करे तो 11 बजे बाद से याहू मैसेंजर के जरिए मुझसे चैट कर सकते हो।

तुम्हारा
पवन निशान्त

बेनामी ने कहा…

"Bitiya maa ka dular hai
Sneha ka vandanwar hai
sach hai....
Bitiya ka aanan
samridhi ka dwar hai.....
-Mitra,do line me 'Bitiya'
sachmuch samandar ka sar hai..
bahut achchha.......
sudhir Dewas wala

बेनामी ने कहा…

"Bitiya maa ka dular hai
Sneha ka vandanwar hai
sach hai....
Bitiya ka aanan
samridhi ka dwar hai.....
-Mitra,do line me 'Bitiya'
sachmuch samandar ka sar hai..
bahut achchha.......
sudhir Dewas wala

सुशील छौक्कर ने कहा…

हमने चार चार तुकबंदी कर दी अपनी बेटी पर। और आपने बस चार पक्तिंयों में सब कुछ कह दिया। और क्या कहें जी। कितनी अद्भुत बात कही है आपने।