माँ थक गया हूँ मै तेरी गोद जैसी जगह , उन थपकियों का अहसास ओर कानो मै लोरी की वो मधुर ध्वनी इस शहर मै नही मिलती यंहा तो मेरी छोटी जिदो का भी कोई अस्तित्व नही माँ ...............................
"Kya lot sakega vah aanchal, vah marm ehsas jab jeevan path par gujra karta tha Maa ke aanchal saye jaha na bhay padosi ka tha na bhay samay ke bhag jane ka ... pratispardha thi to bus ek babloo se..............! sudhir Dewas wala
जब दुनिया गहरी नींद सोती है, तब किताबें मेरा साथ निभाती हैं...
गाती है, गुनगुनाती है, किताबें जीना सिखाती हैं..
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मिलती है जब, कुछ मौज़ औ' कुछ मस्ती
कृपा उस ईश की, जो हम पर् है बरसती
आपके आशीर्वाद
" जिनके चरणों मे झुका ये शीश है, पिता ही मेरे गुरु, मेरे ईश हैं,है ये सौभाग्य मेरा कि मेरे,कदम-कदम उनके आशीष हैं.. " ( सालों पुरानी ये तस्वीर है, इस तरह की यह एकमात्र तस्वीर)
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याद रहेंगे हम भी जवां थे कभी।। चलो, इक तस्वीर जड़ कर लगा दें अभी।।
लम्बा जीवन मुंबई के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में पत्रकारिता को दे डाला। दूरदर्शन के लिये ढेर सारी डाक्यूमेंट्री लेखन के अलावा आकाशवाणी मुम्बई के ;खेल पत्रिका; कार्यक्रम का लगातार 3 साल तक संचालन , दूरदर्शन के लिये ही दो-तीन धारावाहिक लेखन जिनमे करगिल युद्ध के बाद बनाया गया 'वीरो तुम्हे सलाम' सबसे बेहतरीन । फिलवक्त पठन और लेखन। व्यस्त रहने को सबसे बडा सुख मानता हूं। रह कर देखें..मज़ा आयेगा।
2 टिप्पणियां:
"Kya lot sakega vah aanchal, vah marm ehsas jab jeevan path par gujra karta tha Maa ke aanchal saye jaha na bhay padosi ka tha na bhay samay ke bhag jane ka ... pratispardha thi to bus ek babloo se..............!
sudhir Dewas wala
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