मंगलवार, 6 जनवरी 2009

माँ

माँ
थक गया हूँ मै
तेरी गोद जैसी जगह ,
उन थपकियों का अहसास
ओर कानो मै लोरी की वो मधुर ध्वनी
इस शहर मै नही मिलती
यंहा तो मेरी छोटी जिदो का भी कोई अस्तित्व नही
माँ ...............................

2 टिप्‍पणियां:

सुधीर महाजन ने कहा…
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सुधीर महाजन ने कहा…

"Kya lot sakega vah aanchal, vah marm ehsas jab jeevan path par gujra karta tha Maa ke aanchal saye jaha na bhay padosi ka tha na bhay samay ke bhag jane ka ... pratispardha thi to bus ek babloo se..............!
sudhir Dewas wala