शनिवार, 17 जनवरी 2009

जो पंक्तिया मुझे अच्छी लगती है

''चलते चलते रास्ते में मिल गई
सुरा लिए शाम
अच्छा भाई सूरज , राम राम ..... ''
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''अश्रु था हृदय में आँखों पर न आया
शब्द थे मन में , फडके न होठो पर''
----------निशीथ

1 टिप्पणी:

सुधीर महाजन ने कहा…

Mukadds jajbaton ko kyo sanskriti anavarit nahi hone deti......?
Shabd yu bhi nahi prakat hote lub par.......!
Ahasaso ko mahsus nahi karta koi,
shabdo ka libas na mile jab tak....
Sudhir dewas wala