शुक्रवार, 23 जनवरी 2009

आज मेरे 'राम' की बात

राम दोहे

राम नाम रटते रहो,rakh कर आत्मविश्वास
छोड़ दो उस पर अपनी, सारी जीवन आस॥
अपने नित्य कर्मो को, करो पूजा मान,
राम को समर्पित हो, सारे मान सम्मान॥
सुख दुःख के भंवर से , होना हो अगर पार,
राम नाम के जाप को, बनाओ अपनी पतवार॥
माया मोह के बंधन से मुक्त होना हो आज,
लेकर नाम राम का, बुलंद करो आवाज़॥
बही खातो में डूब कर, हुआ जीवन व्यर्थ
बिना राम के जाप से होना हे अनर्थ॥
राम राम बस राम हो, मेरे चारो ओर
कृपा करो, थाम लो मेरी जीवन डोर॥
जगत के झमेलों में क्यों उलझा रहता मन
सुलझा लो जीवन अपना करके राम आराधन॥
मे तो चाहू राम को, ओर ना चाहू कुछ,
एसा भाव बना ज्यो, मिल जाए सब कुछ॥
राम का सर पर हाथ हो, हो राम छत्र छाया,
फिर भला किस काम की ये सांसारिक माया॥
ह्रदय में राम रस निरंतर बहता रहे,
ओर मुख सिर्फ राम नाम कहता रहे॥
एसा विश्वास ठोस हो, तो बन जाए बात,
राम राम श्री राम राम जपते रहो दिन रात॥

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