सोमवार, 5 जनवरी 2009

मंथन



" क्या होता है
जो सारे दूर हो जाते है ?
सुख जो अपने है
वो गुम हो जाते है
मंथन तो है ही जीवन
विष पीने वाले ही
शंकर हो जाते है "
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सम्बन्ध

संबंधो में संपर्क
की जरुरत क्या ?
गर जरुरत है तो
फ़िर सम्बन्ध क्या ?

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3 टिप्‍पणियां:

art ने कहा…

आप सुंदर लिखते हैं......वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें तो और सुविधा होगी सभी को टिपण्णी देने में......बस मै इस विचार से सहमत नहीं कि संबंधों में संपर्क की जरोरत नही...

सुधीर महाजन ने कहा…

Nice------

सुशील छौक्कर ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन लिखा है। आपके लेखन में दार्शनिकता होती है।