मंगलवार, 17 फ़रवरी 2009

इश्क ऐ ताक़त




" दिखता नही

खुदा , मगर

उसे सब जानते है,

शब्दों से जैसे

आपको हम

पहचानते है।


जरूरी नही

इश्क में

किसीका राज़ी होना,

नाम दिल में

सजाकर भी

लोग उम्र गुजारते है।


इबादत हमारी

सुनेगा वो एक दिन,

जो पाक- ऐ दिल से

उसे हम पुकारते है।


छोड़ दुनिया को

हमारे वास्ते

वो जरूर आयेंगे ,

इश्क -ऐ- ताक़त को

हमारी, हम

खूब जानते है। "

13 टिप्‍पणियां:

Sanjeev Mishra ने कहा…

छोड़ दुनिया को
हमारे वास्ते
वो जरूर आयेंगे ,
इश्क -ऐ- ताक़त को
हमारी हम
खूब जानते है।
BHAYEE AMITABH JI , bahut achchhe,aisa laga jaise hamari bhaavnaaon ko apne shabd de diye.
bahut pyare bhav hain kavita ke .
hamne jo likhaa tha usmen ek yaachna thi,ek kshiin aas thi,apke likhe men ek prabal vishwas hai.
sachmuch ,bahut hi sundar. dhanyvaad.

बेनामी ने कहा…

'इबादत हमारी

सुनेगा वो एक दिन,

जो पाक- ऐ दिल से

उसे हम पुकारते है।'
-पक्का इरादा.

बेनामी ने कहा…

antim panktiyaan chehre pe ek santusht muskaan le aati hain..bahut khoob amitabh ji...

सुधीर महाजन ने कहा…

उम्मीद पर
संशय नही
हम बस
इतना जानते है !

kumar Dheeraj ने कहा…

दिखता नही

खुदा , मगर

उसे सब जानते है,

शब्दों से जैसे

आपको हम

पहचानते है।
दिल की गहराई को छुने वाला सुन्दर शेर । बिल्कुल लाजबाव है ...दिल में कहने को बहुत कुछ है लेकिन सोचता हूं कि क्या कहुं । लिखते रहिए शुक्रिया

मुकेश कुमार तिवारी ने कहा…

अमिताभ जी,

वाह क्या बात कही है. " जरुरी नही इश्क में किसीका राजी होना, नाम दिल में सजाकर भी लोग उम्र गुजारते हैं "

आपके ब्लॉग पर माता-पिता के दर्शन मन को आपकी भावनाओं के प्रति आदर से भर देते हैं. काश यह भावना संक्रामक हो जाये तो शहर में भटकते हुये जिन्दगी से भागते / भोगते वृद्ध माता-पिता अपने ही घर में इज्जत पायें किसी आश्रम की तलाश ना करें.

मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया.

मुकेश कुमार तिवारी

manu ने कहा…

badhiyaaa likha hai ,,amitaabh ji,,,,,,bahut badhaai,

seema gupta ने कहा…

जरूरी नही इश्क में किसीका राज़ी होना, नाम दिल में सजाकर भीलोग उम्र गुजारते है।
"हकीक़त कहते हुए अल्फाज.....इश्क कब इंतजार करता है किसे के राजी होने का....वो तो बस हो जाता है...."

Regards

रंजू भाटिया ने कहा…

जरूरी नही
इश्क में
किसीका राज़ी होना,
नाम दिल में
सजाकर भी
लोग उम्र गुजारते है।

सबसे बेहतरीन लगी यही पंक्तियाँ ..शायद सबको ही यह अपने दिल के करीब लगी

निर्मला कपिला ने कहा…

apne dil ko yoon hi sajaye rakhen vo sab ki sunta hai apki bhi sunega shubhkaamnaayen

इष्ट देव सांकृत्यायन ने कहा…

बहुत अच्छी कविता है.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

दिखता नही
खुदा , मगर
उसे सब जानते है,
शब्दों से जैसे
आपको हम
पहचानते है।

अमिताभ जी
इश्क मेंखुदा होता है , खुदामें ताकत होती है ये दोनों तो पूरक हैं इक दूजे के ..........
अच्छी रचना है आपकी, बधाई

Mamta Sharma ने कहा…

aaj maine aapki kai rachnae padhi man prasanna ho gaya | bahut achha likhte hai aap|badhai