जब दुनिया गहरी नींद सोती है, तब किताबें मेरा साथ निभाती हैं...
गाती है, गुनगुनाती है, किताबें जीना सिखाती हैं..
सवॉधिकार सुरक्षित है।
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मिलती है जब, कुछ मौज़ औ' कुछ मस्ती
कृपा उस ईश की, जो हम पर् है बरसती
आपके आशीर्वाद
" जिनके चरणों मे झुका ये शीश है, पिता ही मेरे गुरु, मेरे ईश हैं,है ये सौभाग्य मेरा कि मेरे,कदम-कदम उनके आशीष हैं.. " ( सालों पुरानी ये तस्वीर है, इस तरह की यह एकमात्र तस्वीर)
फ़ॉलोअर
याद रहेंगे हम भी जवां थे कभी।। चलो, इक तस्वीर जड़ कर लगा दें अभी।।
लम्बा जीवन मुंबई के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में पत्रकारिता को दे डाला। दूरदर्शन के लिये ढेर सारी डाक्यूमेंट्री लेखन के अलावा आकाशवाणी मुम्बई के ;खेल पत्रिका; कार्यक्रम का लगातार 3 साल तक संचालन , दूरदर्शन के लिये ही दो-तीन धारावाहिक लेखन जिनमे करगिल युद्ध के बाद बनाया गया 'वीरो तुम्हे सलाम' सबसे बेहतरीन । फिलवक्त पठन और लेखन। व्यस्त रहने को सबसे बडा सुख मानता हूं। रह कर देखें..मज़ा आयेगा।
2 टिप्पणियां:
ये कविता है तो ठीक है, अक्सर नहीं भी होता है
कई बार इंतजार बहुत लम्बा हो जाता है। और फिर उसका अर्थ खो सा जाता है।
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