सोमवार, 2 जुलाई 2018

कभी कभी इश्क़

कभी कभी इश्क़
अचानक होता है ..
अचानक ।
एकदम से।
देखते ही।
उतर जाता है अंदर ,
समा जाता है ।
बहने लगता है रक्त की तरह रगों में ..
कोई प्रश्न नहीं - किससे हुआ, क्यों हुआ और ये क्या हुआ ?
बस होता है ।
सच मानना
इश्क़ बुरा नहीं होता ।
कभी उसे अपनी हथेली पर रखकर
आँखों के करीब लाकर
ग़ौर से देखना ..
उसका रंग पानी है ..
हवा है ..
जीवन है।
मृत्यु के बाद सा जीवन।

2 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

इश्क की हवाओं में उड़ान भरते हुए आपकी लाजवाब रचना मुझे भी छू गई आज दुबारा ...
सच है ये हो जाता है अचानक अनायास ... और किसी से भी ...
आशा है आप ठीक होंगे ... लम्बा समय हुआ आप का हाल जाने ...

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

सच है ये , वैसे आप दिल में रहते हैं तो स्मरण में भी हैं। ब्लॉग की दुनिया लगभग उजड़ सी गई है। कोशिश करता हूँ मैं सब पुनः जुड़े किन्तु असम्भव सा लगता है अब। बने रहिये। फेसबुक पर आप हैं या नहीं ? यदि हों तो अवश्य जुड़े।