बुधवार, 11 जुलाई 2018

तुम भी न बारिश

तुम भी न बारिश
हो क्या चीज ?
बताओ तो !
पानी तो नहीं हो तुम ।
होती तो कैसे जलाती हॄदय इतने
मन में क्यों आग लगाती?
भला पानी भी
लौ फूंकता है क्या!
(टुकड़ा-टुकड़ा डायरी, ०९-०७-१८ )

कोई टिप्पणी नहीं: