शनिवार, 3 अक्तूबर 2009

आंख


यों ही बहुत
सुन्दर तुम्हारी
बडी काली आंख।
कमल, खंजन,
हरिण सबको
मात करती आंख।
अनगिनत से
भाव भरती
बात करती आंख।
किंतु
उपमाहीन है
नीचे झुकी-सी आंख।



-चित्र गुगल से साभार

17 टिप्‍पणियां:

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

जिस आंख पर आंख है
वही नजर नहीं आ रही
आंख पर पलक भारी है
अमिताभ की आभारी है

Alpana Verma ने कहा…

'अनगिनत से
भाव भरती
बात करती आंख!'

सुन्दर सरल चंद शब्दों में इतनी सारी तारीफ़ !
बहुत खूब!

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

baat karti aankhe..actual me ankhe dil ki zubaan hoti hai....bahut khoobsurat,,,

सुशील छौक्कर ने कहा…

वाह जी वाह क्या बात है
आज अलग ही अंदाज है।

इधर हम लिखने के लिए विषय ढूढते रहते है और आप पता नही कहाँ से विषय ढूढ लेते है। खैर कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया। कभी उस समय पर लिख डालिए जब लोगो की आँखो से ही बात हो जाती थी:)

Mishra Pankaj ने कहा…

भाई वाह आपने तो आँख की गजब वरन किया है

kshama ने कहा…

आँखें भी क़ुदरत का करिश्मा हैं ,

मुस्कुराना चाहूँ, रोती हैं!

दिल रोता है, ये हँस देती हैं,

तमाशाई बनाती हैं,

खुदका तमाशा खुद देखती हैं...


आपने जिन आँखों का वर्णन किया वो कितनी सुन्दर हैं!

शोभना चौरे ने कहा…

तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है ?

उपमाहीन है
नीचे झुकी-सी आंख।
ati sundar shabd hi nhi hai kuch khne ke liye .
shubhkamnaye

sandhya ने कहा…

नमस्ते !
किंतु
उपमाहीन है
नीचे झुकी-सी आंख।
बहुत खूब!

hem pandey ने कहा…

अनगिनत से
भाव भरती
बात करती आंख।
किंतु
उपमाहीन है
नीचे झुकी-सी आंख।

-सुन्दर.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

VAAH AMITAABH JI .... KYA BAAT KAHI HAI ... AAPKI NAZRON SE AANKHON KO DEKHNA AUR BHI SUKHAD HO GAYA ... KITNA KUCH BINA BULWAAYE HI KAHALWA DIYA IN ANKHON SE .... AAPKI RACHNAAYEN HAMESHA DIL MEIN UTARJAATI HAIN ...

Urmi ने कहा…

वाह वाह क्या बात है! दिल को छू लेने वाली बेहद ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने!

दर्पण साह ने कहा…

Wah 'prem ras' se shuru hokar 'Veer Ras'pe samapt !!

itne chote se comment se samajh gaye honge ki kavita ne kitne gehre tak asar kiya hai.
Aur haan ye bhi bataiyega ki kya main ise samjhne main safal raha?

"किंतु
उपमाहीन है
नीचे झुकी-सी आंख।"
Behtar likhna to door ki baat aapki baat samajh hi jaaon kaafi hai amitaabh ji.
Aapka SMS mila...
...aapka mail bhi !!
Thanks a lot .
Man hua call kar loon.
Par chunav ka samay chal raha hai aamchi maharashtra main to socha ki chalo chunav ho jaane do.

अपूर्व ने कहा…

क्या बात है सर जी..आँख पर आखोँ-२ से बात करते हुए कहाँ ले गये बात को आप..
आपकी कविता पर हम तो यही कहेंगे..
कही पर निगाहें कही पर निशाना. ;-)
और चित्र देख कर मीर साहब(?) का बड़ा खूबसूरत से शेर आखों मे कौंध गया
खुलना कम-कम कली ने सीखा है
तेरी आखों की नीम-बाजी से

वाह!!!

शरद कोकास ने कहा…

खुली आंख वाली कविता के लिये बन्द आंख वाली स्त्री का चित्र , क्या द्वन्द्व है ?

शरद कोकास ने कहा…

नीचे झुकी आँख और नीचे झुकी पलकें यह दो अलग अलग बिम्ब हैं दोनो के अर्थ भी अलग अलग होते है । मेरा कहने का तात्पर्य है कि चित्र नीचे झुकी पलकों का है और कविता में नीचे झुकी आँख कहा जा रहा है ।

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

मात करती आंख।
अनगिनत से
भाव भरती
बात करती आंख।

बहुत खूब. क्या खूब कहा है!!!!!!!

हार्दिक बधाई.

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

Sonali ने कहा…

Sundar rachna...