शनिवार, 16 मई 2020

लॉक डाउन

आशंकाओं से भरे पूरे दिन
रात भर करवटें लेते रहते हैं।
कितनी सावधानियों के बावजूद जब
पता चलता है आसपास कोई संक्रमित है तो
सावधानियों का ग्राफ ऊपर की ओर भागने लगता है।
कैसा अजीब दौर है।
कितना संदेहास्पद।
भय के मध्य बिंदास रहने का.. जैसे जुमले
और अध्यात्म, दर्शन, ज्ञान की बातें
क्रमशः आयुर्वेदिक काढ़े और गिलोय वटी की तरह जान पड़ रहे हैं।
बचने और बचे रहने का तमाशा चल रहा है
मदारी का डमरू बज रहा, जमुरा नाच रहा।
■ लॉक डाउन 0.3-तीसरा दिन

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