बुधवार, 8 मई 2013

अ -हम

तुम 
जब तक तुम रहोगे ,
मै 
जब तक मै ,
तब तक 
'ह' और 'म' के बीच 
फासला बना ही रहेगा /

अजीब गणित है दोस्त 
रिश्तो के अहम् (अ -हम ) का 
यह व्याकरण में मत देखना 
न ही भाषा में तलाशना /

3 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब ... सच है रिश्ते भाषा से नहीं बन पाते ... आपसी समझ जरूरी है ...
बहुत लाजवाब .. बहुत दिनों बाद ...

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

सच.....
अहम् मिलने कहाँ देता हैं दोनों को....

सुन्दर भाव..

सादर
अनु

जयंत - समर शेष ने कहा…

Waah bahut sundar.. kabhi aisaa nahin sochaa thaa..
Amit ji, pranaam!!