शनिवार, 20 जुलाई 2013

इज्जत

अलगनी पर लटका 
कमीज़, 
न न आदमी की इज्जत 
झूल रही है/ 
फरका रही है/

खुशबूदार सर्फ़ के झाग से
गंदे, मैले , कुचले कमीज को
खूब धो-पछीट के धो लिया गया है /

काले , मटमैले और बदबूदार पसीने युक्त
पानी को नाली के हिस्से बहा ,
निचोड़ कर
खुली हवा में
फिर लटका दिया गया है
सूखने , चमकने /

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