शुक्रवार, 1 मार्च 2013

मै हूँ यह क्या कम है

बैठो तो दो पल ..

देखो सूखे इस वृक्ष को 
जिस पर खिले है सिर्फ फूल /

अब मुझे देखो ..


क्यों मेरी नाकामी से परेशा हो
मै हूँ यह क्या कम है /

(पलसधरी की एक शांत दोपहर और मेरे कैमरे में कैद यह अद्भुत वृक्ष )

5 टिप्‍पणियां:

शोभना चौरे ने कहा…

बहुत समय बाद आपको पढ़ा ।कैसे है आप ?

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

जी, नमस्कार ,
इन दिनों फेसबुक ने लिखना-पढ़ना छुडवा दिया है/ ब्लॉग को ही नहीं बल्कि ब्लॉग के सारे साथियो को बहुत मिस करता हूँ/ उधर के साथी बनी बने के है बस कुछ ब्लॉग के संगी भी है तो अच्छा लगता है/
आप सुनाइये कैसी है आप? बहुत दिनों बाद आपसे बातचीत करके सुकून हुआ /

रचना दीक्षित ने कहा…

सुंदर चित्र मधुर भाव.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

जो हाथ में होता है उससे इंसान खुश कहाँ रह पाता है ...
आशा है आप ठीक होंगे ... फेसबुक में रहते हैं आजकल ... अच्छा लगा जान कर ...

जयंत - समर शेष ने कहा…

bahut dino baad lautaa to is rachanaa ko payaa!! Bahut sundar.