मेरा और उसका नाम
आज भी खुदा होगा वहां
जहां जुदा होने से पहले
कुरेदी थी ज़मीन..........
और लम्बी चुप्पी के बाद
तन्हाई ने बाहे फैला कर
धीरे से बुदबुदाया था
इश्क .....
वहां खुदा होगा एक पूरा इतिहास ..
क्योकि इश्क की बदकिस्मती है
की वो 'खुदा' ही होता है...
सपना, काँच या ज़िन्दगी ...
1 दिन पहले
1 टिप्पणी:
'इश्क की बदकिस्मती होती है कि वह 'खुदा ' ही होता है!'
बहुत खूब लिखा है...
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