शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010

शीर्षकहीन

पद पाने की होड
विशेष बन जाने की चाह
कामयाबी के लिये ज़ंग
मानों जीवन के सूत्र
बन गये हैं।
किंतु अफसोस
यह सूत्र उस
निर्विवाद सत्य को
झुठला नहीं पाता कि
खेल खत्म होने के बाद
बादशाह और प्यादे
सब को एक ही बॉक्स
में डाल दिया जाता है।

दो तिकडियां भी-

1,


हद है मुसाहलत की
वो इश्क़ फरमाते हैं और
हम नींद।


2,

बेदार हैं लोग
उन्हें छेडना नहीं
ख्वाब टूट जायेगा।

*- मुसाहलत- आलस्य
*बेदार- जागरुक

14 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बेदार हैं लोग
उन्हें छेडना नहीं
ख्वाब टूट जायेगा।

-गज़ब!

अजय कुमार झा ने कहा…

बेहतरीन अभिव्यक्ति ...........अमिताभ भाई

डॉ टी एस दराल ने कहा…

निर्विवाद सत्य --कठोर सत्य ।
दोनों तिकडियां भी शानदार ।

सुशील छौक्कर ने कहा…

और नींद में प्यारे प्यारे रंग़बिरंगी पौशाक पहने लोग हठखेलियां करते हुए सपनों में आते हैं।
वैसे गजब की रचनाएं लिखी हैं। सत्य के करीब। वैसे....

अनिल कान्त ने कहा…

सत्य के कितनी करीब होती हैं आपकी रचनाएँ....
वाह !

kshama ने कहा…

1,

हद है मुसाहलत की
वो इश्क़ फरमाते हैं और
हम नींद।


2,

बेदार हैं लोग
उन्हें छेडना नहीं
ख्वाब टूट जायेगा।

Behad sundar!

रचना दीक्षित ने कहा…

बेदार हैं लोग
उन्हें छेडना नहीं
ख्वाब टूट जायेगा।

आज कुछ अलग ही बात है!!!! तिकडियां भी अच्छी लगीं. कविता के तो क्या कहने

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

बादशाह और प्यादे
सब को एक ही बॉक्स
में डाल दिया जाता है...
बहुत सटीक...सत्य...

बेदार हैं लोग
उन्हें छेडना नहीं
ख्वाब टूट जायेगा...
बहुत अच्छी रचनाएं हैं.

Parul kanani ने कहा…

100 aane sach keha aapne...sab samjhkar bhi nasamjhi ki bhool hi to hai jindagi!baaki dono shankikayen bhi umda hai..

सुधीर महाजन ने कहा…

खेल खत्म होने के बाद
बादशाह और प्यादे
सब को एक ही बॉक्स
में डाल दिया जाता है।
Panktiyo me pariniti ka ati sundar praktya !
हद है मुसाहलत की
वो इश्क़ फरमाते हैं और
हम नींद।
Apna-Apna andaj hai..!
Neend Ki AAshiqi to khwab deti hai.
Ishq to khwab le leta hai aur aksar tod bhi deta hai !

Ravi Rajbhar ने कहा…

wah sir bahut hi sunder,
laga jaise mere liye hi likha hai aapne... sachmuch dil me sama gai aapki sunder poem.

abhar
post karne ke liye

अविनाश ने कहा…

बोक्स से भी कर लो बात्

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बेदार हैं लोग
उन्हें छेडना नहीं
ख्वाब टूट जायेगा ..

आप हमेशा ही सारी को सीधा और सपाट लिख देते हैं अमिताभ जी ....
हर रचना यही साबित कर रही है ... बहुत लाजवाब ...
बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आना हुवा ... आपको इधर ऑनलाइन भी नही देखा कई दिनों से ... लगता है व्यस्त हैं ...

manu ने कहा…

kitnaaa gambheer ho gaye the ham aapko padhkar...

par ek bachchi ke comment ko dekh kar hansi aa gayi......