1,
उसने किसी के
पेट पर लात मारी।
वाह क्या बात है,
वो एक ही तीर से
कितने
शिकार कर गया।
2,
ऊंचे और ऊंचे
चोटी पर जा पहुंचे।
अफसोस कि
देखना अब नीचे ही है।
3,
हम घास,
आप दरख्त
आपका इतराना
लाज़मी है।
पर बचके,
कहते हैं
आन्धियों में टूटते
दरख्त ही हैं।
4,
तुम्हारी प्रतिष्ठा
तुम्हारा अहम
तुम्हें मोहक
बना रहा है।
किंतु 'प्लेटो' कहता है
कि
छलने वाली प्रत्येक
वस्तु को मोहक
कहा जा सकता है।
रविवार, 19 सितंबर 2010
सोमवार, 13 सितंबर 2010
आत्म सत्य
अक्सर..
हां अक्सर ही तो,
जब
देखता हूं खुद को
खुद के भीतर,
तो पाता हूं
भीतर
गहरे भीतर
एक सबसे अच्छा गुण..
जिसमे दुर्गुण की
कोई गन्ध आती है।
हां अक्सर ही तो,
जब
देखता हूं खुद को
खुद के भीतर,
तो पाता हूं
भीतर
गहरे भीतर
एक सबसे अच्छा गुण..
जिसमे दुर्गुण की
कोई गन्ध आती है।
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