मंगलवार, 19 मार्च 2013

सोचो तो यार ............


तुम हजार बहाने बना लो/
चाहे मुझे कारण बना लो 
किन्तु 'हमारे' लिए 
यह उचित नहीं माना जा सकता /
इसके बावजूद 
 मुझे कोइ 
शिकवा नहीं है /

बस ये जो सिगरेट है न 
इश्क के फेफड़ो में 
धुँआ धंस रही  है /

पर मुझे कोइ गिला नहीं /

सिगरेट पीना 
चारित्रिक पतन का 
लेशमात्र भी संकेत नहीं देता /
हां , इसे आदत कहते है /
आदत बदलने के लिए भी 
मै नहीं कहता/
मै सिर्फ यह कहता हूँ कि 
सिगरेट पीकर 
खुद को अस्वस्थ करने की इस  प्रक्रिया में 
महज तुम दुःख नहीं उठाओगी 
तुम्हारे 'हम' ज्यादा उठाएंगे /
और अगर इश्क का मामला है तो 
वो दुःख तो नहीं दे सकता न ..../
सोचो तो यार ............

1 टिप्पणी:

शोभना चौरे ने कहा…

यहाँ बेंगलोर में आम बात है
गाँवो में अधिकतर महिलाये बीडी पीती है ।
हाँ उनके कोई" हम "नहीं होते ।