तुम हजार बहाने बना लो/
चाहे मुझे कारण बना लो
किन्तु 'हमारे' लिए
यह उचित नहीं माना जा सकता /
इसके बावजूद
मुझे कोइ
शिकवा नहीं है /
बस ये जो सिगरेट है न
इश्क के फेफड़ो में
धुँआ धंस रही है /
पर मुझे कोइ गिला नहीं /
सिगरेट पीना
चारित्रिक पतन का
लेशमात्र भी संकेत नहीं देता /
हां , इसे आदत कहते है /
आदत बदलने के लिए भी
मै नहीं कहता/
मै सिर्फ यह कहता हूँ कि
सिगरेट पीकर
खुद को अस्वस्थ करने की इस प्रक्रिया में
महज तुम दुःख नहीं उठाओगी
तुम्हारे 'हम' ज्यादा उठाएंगे /
और अगर इश्क का मामला है तो
वो दुःख तो नहीं दे सकता न ..../
सोचो तो यार ............
1 टिप्पणी:
यहाँ बेंगलोर में आम बात है
गाँवो में अधिकतर महिलाये बीडी पीती है ।
हाँ उनके कोई" हम "नहीं होते ।
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