1,
जोत दिये
खेत-खलिहान सब।
जितने खरपतवार थे
उखाड फेंके...।
अब नये बीज और
नई फसल है...।
2,
सबकुछ पुराना रखूं
संभव नहीं।
नित बदलती है त्वचा भी
उसकी कोशिकायें रूप लेती हैं..
इसलिये अब 'पोंड्स' नहीं
'एक्स' है..।
3,
परिधान देख कर इंसान की
कीमत आंकी जाती है।
औकातभर का आदमी
औकातभर का आकलन
करता है,
मगर उस नंगे को बडा मज़ा आता है
जो देखता है 'लाइफ स्टाइल' में
आने-जाने वाले बन्दों को।
4,
उसे
मिलावट करने के जुर्म में
पकड लिया गया।
मैने पाया कि
उसने सचमुच
जघन्य अपराध किया है..
बिक रही चीजों में
वो शुद्धता जैसी घटिया
वस्तुये मिलाता था..
और अतिसंवेदनशील
केमिकल बगैर
नैसर्गिक विधि पर
बल देता था..।
स्साला....
बाज़ार खराब करता है
मिलावटखोर कहीं का।
सपना, काँच या ज़िन्दगी ...
14 घंटे पहले
12 टिप्पणियां:
wah bahut ki bhawpoorn chhadikayen.
badhai.
अलग अलग मूड की एक से एक बढकर चटिकायें। पर एक चीज कॉमन सी लगती है वो है विद्रोह,जो अलग अलग रुप अपना रंग बिखेरे है। उम्मीद है नई फसल बेहतरीन होगी... आप भी एक्स...
औकातभर का आदमी
औकातभर का आकलन
गजब का तमा..और हाँ ये स्साला कहीं वही तो नहीं....पागल !
इन चटिकाओं का जवाब नहीं
sabhi chatikayen prabhavi hai..bahut badhiya!
परिधान देख कर इंसान की
कीमत आंकी जाती है।
औकातभर का आदमी
औकातभर का आकलन
करता है,
मगर उस नंगे को बडा मज़ा आता है
जो देखता है 'लाइफ स्टाइल' में
आने-जाने वाले बन्दों को ...
बहुत खूब अमिताभ जी .. कैसे हैं आप ...
सभी क्षणिकाओं में मस्ती और हलकी सी आवारगी की झलक है ...
समाज के मस्त मलंग इंसान के दिल की भावनाओं को बखूबी समझा और उतारा है इन शब्दों में ...
. .
अच्छे से चटक रही है ये क्षणिकाए |
बहुत दिनों के अन्तराल पर पढने को मिली है ऐसी चटख |
कैसे है आप ?
परिधान देख कर इंसान की
कीमत आंकी जाती है।
औकातभर का आदमी
औकातभर का आकलन
करता है,
मगर उस नंगे को बडा मज़ा आता है
जो देखता है 'लाइफ स्टाइल' में
आने-जाने वाले बन्दों को।
bahut hi sundar chatikaye
badhai kabule
मगर उस नंगे को बडा मज़ा आता है
जो देखता है 'लाइफ स्टाइल' में
आने-जाने वाले बन्दों को ...
Bhai bahut khub jhatka....!
Kalam ko ese hi gatishil banaye rakhe..!
Shubhkamnae!
bahut achcha likhe...
जोत दिये
खेत-खलिहान सब।
जितने खरपतवार थे
उखाड फेंके...।
अब नये बीज और
नई फसल है...।
Ye waalee behad achhee lagee!
तीन चतिकाएं तो एकदम मस्त हैं..चटक भी गए और चकित भी हुए...
पर नंबर दो वाली ....( इसलिये अब 'पोंड्स' नहीं
'एक्स' है.).....ऊपर से उतर गयी साहिब...
इस पर कल भी दिमाग खर्च किया था....
:(
क्यूंकि आपको हमउम्र ...छोटे या बड़े भाई समान समझते आये हैं ..सो अपनी कमअक्ली पर थोड़ा सा शर्मिन्दा होते हुए इस पोंड्स और एक्स का सही अर्थ जानना चाहते हैं...
एक शे'र याद हो आया...नंबर तीन वाली के लिए...
अभी चलते हैं, दम भर रुक, ज़रा चमका तो लूं जूता
सुना है अब इसी से होती है पहचान इन्सां की..
तीन चतिकाएं तो एकदम मस्त हैं..चटक भी गए और चकित भी हुए...
पर नंबर दो वाली ....( इसलिये अब 'पोंड्स' नहीं
'एक्स' है.).....ऊपर से उतर गयी साहिब...
इस पर कल भी दिमाग खर्च किया था....
:(
क्यूंकि आपको हमउम्र ...छोटे या बड़े भाई समान समझते आये हैं ..सो अपनी कमअक्ली पर थोड़ा सा शर्मिन्दा होते हुए इस पोंड्स और एक्स का सही अर्थ जानना चाहते हैं...
एक शे'र याद हो आया...नंबर तीन वाली के लिए...
अभी चलते हैं, दम भर रुक, ज़रा चमका तो लूं जूता
सुना है अब इसी से होती है पहचान इन्सां की..
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