पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ की आपने इतना सुंदर और विस्तार से टिपण्णी दी है कि लिखने का उत्साह अब दुगना हो गया है! मैं पेंटिंग करती हूँ और ये सोचा की शायरी लिखने के साथ साथ अपनी बनाई हुई पेंटिंग अगर दूँ तो और बेहतर लगेगा! आपने बिल्कुल सही फ़रमाया की पेटिंग्स मेरी बनाई हुई है पर कुछ तो फोटो है जिसे देखकर समझ में आ ही जाता है की पेंटिंग है या फोटो! आपका फ्रेंड रेकुएस्ट मिला मुझे धन्यवाद! मुझे आपका ये पोस्ट बेहद पसंद आया !बहुत ही शानदार! अब आपकी तबियत कैसी है! ख्याल रखियेगा और लिखते रहिएगा!
kafidino bad apko pdha .ak aisa lekh jo man ko cheer gya .jab sare desh me dhmake huye the kai mandiro ke pas aur bhi jgh tb mombati nhi jlai gai desh ke aur bhago me har sal badh ati hai vha koan jata hai ? aur ha ye mumbai valo ki jindadili nhi hai mjburi hai ya apne me jeene ki aadat . tmhara khun ,khun hmara khun pani |
आपका यथार्त और कटु सत्य लेख पढा..............ये समय की विडंबना है की हम अक्सर ऐसे हादसों को कुछ समय बाद भूल कर वापस उसी रफ़्तार में चल पढ़ते हैं............शायद संवेदनाएं धीरे धीरे मरती जा रही हैं..............सोच का दायरा संकुचित होता जा रहा है.............सब यही सोचते हैं............चलो में तो बच गया..........मुझे क्या करना...........आपने मन की पीडा को समझना आसान है ..एक कवी मन की पीडा जायज है.........
झूटी संवेदनाएं..सफ़र काटना ही होता है..मुम्बई में जिंदा है ही कौन....रात खाली बर्तन की तरह...सड़क भी अभिशिप्त है..अमिताभ जी बहुत ही पैना अवलोकन किया है आज के माहोल का....मंजिल आ जाती है मगर सड़क पराई लगती है..बहुत खूब!
आपने इस पोस्ट में कई जरुरी सवाल उठाऐ। सच जिससे पूछो कि क्या हाल है वह बस यही कहता मिलेगा कि बस यार "जिदंगी कट रही है।" जिदंग़ी का आनंद किधर चला गया समझ नही आता? और हाँ आपने तो मेरे दिल की बातें कह दी।
अमिताभ जी, ब्लॉग पर टिप्पणियाँ करना मात्र लेन-देन बन गया है किन्तु मैं इस बात से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखता, टिप्पणी करते रहने से अपनापन है ऐसा आभास बना रहता है, न करें तो लगता है कि शायद आपसे कोई ग़लती हो गयी और मित्र का साथ छूट गया।
aap bhi apna khayal rakhiyega. kaam se fursat nahi mil pata hoga. fir bhi sab kuchh ek taraf aur swaaasth ek taraf. ji main bhi aapko yaad karti hoon.. aur ye bada hi sukoon dene wala naata hai shabdo ka..
aasha hai ab aapki tabiyat bilkul theek ho gayi hogi..
aaj raat ko khana khaane ke baad ka time 'mithaai' time rahega. meri taraf se kha lijiyega main bhi kha lungi.
Achha lagta hai jab aap bedhadak apne man ki baat kehte hain. saansaarik zimmedaaariyaan to nibhaani hi hoti hain. par thoda samay khud ke liye bhi nikaal liya kijiye. sukun milega man ko. gaya samay waapas nahi aata. agar ye kanoon parishram ke liye laagu hota hai, masti ke liye bhi laagu hota hai. lekhan bhi ek tarah se humaare khud ke liye hai. likhte samay kabhi hum sirf khud ke liye likhte hain aur wo kavita sabse pyaari ho jaati hai.
main bhi kya chhota muh aur badi baat karne lag gayi. aapko hi mujhe zindagi ki reet samjhaani chahiye.
maain aapka bahut aadar karti hoon. aur jab se pata laga ki aapki tabiyat kharab hai chinta si lagi rahi. sun kar achha laga ki ab aap behtar mehsoos kar rahein hain. patrakaarita ke kshetra mein to aaraam kam hi naseeb hota hoga.
fir bhi apna khayal rakhiyega. jaan hai to jahaan hai. aap swasth rahenge tab hi kaam bhi achha kar payenge.
मन की हालत कुछ विचित्र सी इसे पढ़ने के बाद... एक निकट का मित्र खोया था इस दिन.. लग रहा था कि वो है सही-सलामत मेरी ही तरह कहीं किसी सुदूर पोस्ट पर...किसी दिन यूं ही टकरा जायेगा...
जरा से धक्के से चैन खो गया जनाब देश में आंतकवादी धक्के पे धक्का दे रहे हैं......" अमिताभ जी बड़ी गहरी पकड़ है आपकी ...यथार्त और कटु सत्य पर आधारित आपका ये लेख सराहनीय है .....!!
जब दुनिया गहरी नींद सोती है, तब किताबें मेरा साथ निभाती हैं...
गाती है, गुनगुनाती है, किताबें जीना सिखाती हैं..
सवॉधिकार सुरक्षित है।
------------------------------------- मेरे इस ब्लौग "अमिताभ-कुछ खास है" पर प्रकाशित समस्त आलेख पर मेरा सर्वाधिकार सुरक्षित है। मेरी अनुमति के बगैर इस ब्लौग के किसी भी आलेख का कहीं भी किसी तरह का उपयोग वर्जित है। इस ब्लौग का या इस ब्लौग के किसी भी आलेख का लिंक के तौर पर मेरे नाम "अमिताभ" के साथ किया जा सकता है। -----------------------------------------------------------
मिलती है जब, कुछ मौज़ औ' कुछ मस्ती
कृपा उस ईश की, जो हम पर् है बरसती
आपके आशीर्वाद
" जिनके चरणों मे झुका ये शीश है, पिता ही मेरे गुरु, मेरे ईश हैं,है ये सौभाग्य मेरा कि मेरे,कदम-कदम उनके आशीष हैं.. " ( सालों पुरानी ये तस्वीर है, इस तरह की यह एकमात्र तस्वीर)
फ़ॉलोअर
याद रहेंगे हम भी जवां थे कभी।। चलो, इक तस्वीर जड़ कर लगा दें अभी।।
लम्बा जीवन मुंबई के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में पत्रकारिता को दे डाला। दूरदर्शन के लिये ढेर सारी डाक्यूमेंट्री लेखन के अलावा आकाशवाणी मुम्बई के ;खेल पत्रिका; कार्यक्रम का लगातार 3 साल तक संचालन , दूरदर्शन के लिये ही दो-तीन धारावाहिक लेखन जिनमे करगिल युद्ध के बाद बनाया गया 'वीरो तुम्हे सलाम' सबसे बेहतरीन । फिलवक्त पठन और लेखन। व्यस्त रहने को सबसे बडा सुख मानता हूं। रह कर देखें..मज़ा आयेगा।
18 टिप्पणियां:
dil dehlaane wala lekh tha ye Amitabh ji..
kuchh tabiyat nasaaz thi isliye aapse baat nahi ho paayi..jaldi hi kuchh nahi likhungi.. aap apna khayal rakhiyega..
पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ की आपने इतना सुंदर और विस्तार से टिपण्णी दी है कि लिखने का उत्साह अब दुगना हो गया है! मैं पेंटिंग करती हूँ और ये सोचा की शायरी लिखने के साथ साथ अपनी बनाई हुई पेंटिंग अगर दूँ तो और बेहतर लगेगा!
आपने बिल्कुल सही फ़रमाया की पेटिंग्स मेरी बनाई हुई है पर कुछ तो फोटो है जिसे देखकर समझ में आ ही जाता है की पेंटिंग है या फोटो! आपका फ्रेंड रेकुएस्ट मिला मुझे धन्यवाद!
मुझे आपका ये पोस्ट बेहद पसंद आया !बहुत ही शानदार!
अब आपकी तबियत कैसी है! ख्याल रखियेगा और लिखते रहिएगा!
maf kijiyega maine galti se likh diya ki aapne friend request bheja hai wo aap nahi koi aur tha.
कैसे है अमिताभ जी? आशा है कि आप स्वस्थ और कुशल होंगे।
kafidino bad apko pdha .ak aisa lekh jo man ko cheer gya .jab sare desh me dhmake huye the kai mandiro ke pas aur bhi jgh tb mombati nhi jlai gai desh ke aur bhago me har sal badh ati hai vha koan jata hai ?
aur ha ye mumbai valo ki jindadili nhi hai mjburi hai ya apne me jeene ki aadat .
tmhara khun ,khun hmara khun pani |
bhut marmik dil se nikli post ke liye badhai.
आपका यथार्त और कटु सत्य लेख पढा..............ये समय की विडंबना है की हम अक्सर ऐसे हादसों को कुछ समय बाद भूल कर वापस उसी रफ़्तार में चल पढ़ते हैं............शायद संवेदनाएं धीरे धीरे मरती जा रही हैं..............सोच का दायरा संकुचित होता जा रहा है.............सब यही सोचते हैं............चलो में तो बच गया..........मुझे क्या करना...........आपने मन की पीडा को समझना आसान है ..एक कवी मन की पीडा जायज है.........
सुन्दर अभिव्यक्ति...
मेरा नया ब्लाग जो बनारस के रचनाकारों पर आधारित है,जरूर देंखे...
www.kaviaurkavita.blogspot.com
झूटी संवेदनाएं..सफ़र काटना ही होता है..मुम्बई में जिंदा है ही कौन....रात खाली बर्तन की तरह...सड़क भी अभिशिप्त है..अमिताभ जी बहुत ही पैना अवलोकन किया है आज के माहोल का....मंजिल आ जाती है मगर सड़क पराई लगती है..बहुत खूब!
आपने इस पोस्ट में कई जरुरी सवाल उठाऐ। सच जिससे पूछो कि क्या हाल है वह बस यही कहता मिलेगा कि बस यार "जिदंगी कट रही है।" जिदंग़ी का आनंद किधर चला गया समझ नही आता? और हाँ आपने तो मेरे दिल की बातें कह दी।
behad prabhaavshali aur maarmik abhivyakti !
अमिताभ जी, ब्लॉग पर टिप्पणियाँ करना मात्र लेन-देन बन गया है किन्तु मैं इस बात से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखता, टिप्पणी करते रहने से अपनापन है ऐसा आभास बना रहता है, न करें तो लगता है कि शायद आपसे कोई ग़लती हो गयी और मित्र का साथ छूट गया।
अमिताभ जी, आपने मेरे मत से सहमति जतायी, मुझे बहुत प्रसन्नता है।
धन्यवाद
aap bhi apna khayal rakhiyega. kaam se fursat nahi mil pata hoga. fir bhi sab kuchh ek taraf aur swaaasth ek taraf. ji main bhi aapko yaad karti hoon.. aur ye bada hi sukoon dene wala naata hai shabdo ka..
aasha hai ab aapki tabiyat bilkul theek ho gayi hogi..
aaj raat ko khana khaane ke baad ka time 'mithaai' time rahega. meri taraf se kha lijiyega main bhi kha lungi.
Achha lagta hai jab aap bedhadak apne man ki baat kehte hain. saansaarik zimmedaaariyaan to nibhaani hi hoti hain. par thoda samay khud ke liye bhi nikaal liya kijiye. sukun milega man ko. gaya samay waapas nahi aata. agar ye kanoon parishram ke liye laagu hota hai, masti ke liye bhi laagu hota hai. lekhan bhi ek tarah se humaare khud ke liye hai. likhte samay kabhi hum sirf khud ke liye likhte hain aur wo kavita sabse pyaari ho jaati hai.
main bhi kya chhota muh aur badi baat karne lag gayi. aapko hi mujhe zindagi ki reet samjhaani chahiye.
maain aapka bahut aadar karti hoon. aur jab se pata laga ki aapki tabiyat kharab hai chinta si lagi rahi. sun kar achha laga ki ab aap behtar mehsoos kar rahein hain. patrakaarita ke kshetra mein to aaraam kam hi naseeb hota hoga.
fir bhi apna khayal rakhiyega. jaan hai to jahaan hai. aap swasth rahenge tab hi kaam bhi achha kar payenge.
aapki shubhchintak
Kajal
ji theek hai kal dopahar 12 baje ...
मन की हालत कुछ विचित्र सी इसे पढ़ने के बाद...
एक निकट का मित्र खोया था इस दिन..
लग रहा था कि वो है सही-सलामत मेरी ही तरह कहीं किसी सुदूर पोस्ट पर...किसी दिन यूं ही टकरा जायेगा...
काश की...
जरा से धक्के से चैन खो गया जनाब देश में आंतकवादी धक्के पे धक्का दे रहे हैं......" अमिताभ जी बड़ी गहरी पकड़ है आपकी ...यथार्त और कटु सत्य पर आधारित आपका ये लेख सराहनीय है .....!!
सुन्दर सराहनीय प्रयास.
बधाई वैचारिक लेख और प्रस्तुति के लिए.
चन्द्र मोहन गुप्त
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