tag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post777262352648981891..comments2023-11-03T21:13:09.282+05:30Comments on अमिताभ: असल साहित्य क्या है ?अमिताभ श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-71462378086508008732009-07-13T07:59:32.625+05:302009-07-13T07:59:32.625+05:30अमित जी पहली बार आपके ब्लॉग पर आया और आगे पीछे स...अमित जी पहली बार आपके ब्लॉग पर आया और आगे पीछे सब पढ़ आनंदित होता रहा . <br />इस लेख में आपने सही समझ और चिंतन से बड़ी सफाई से सच्चाई बताई है .<br />टिप्पणियों में भी यही बात आयी है . सब तो कहा ही जा चुका है .फिर भी बदतमीज कहलाये जाने के खतरे के बावजूद बिना कहे न रह पाऊँगा .<br />ये जनाब और इनके जैसे कई और ' चुके लोग ' सिर्फ आत्म मुग्धता और दंभ के शिकार हैं . मूर्खता की हदों तक .ये तो कबीर को भी ' बीत चुका ' मनवाने की जुर्रत तक करते पाए जाते हैं .इनका ख्याल है की साहित्य इनके दरवाजे बंधी कोई भैंस या छिनाल है , और उस से निकाल कर परोसा जाये वही ग्राह्य. साहित्य इन्हीं से शुरू होता है इन्हीं पे ख़त्म .नयी पीढी को इनकी अनदेखी करनी चाहिए . हाँ एक वक़्त अच्छा लिख चुके हैं वह पढ़ा जाना चाहिए , बस .<br />आपकी कविताओं में भावना का प्रवाह भी है और जीवन की दार्शनिकता भी . रोचक तो हैं ही , बहुत कुछ कहती भी हैं . जीवन को प्रतिबिंबित करती .<br />( अब इसे कोई साहित्य न माने तो फिर ? मुम्बैया भाषा में यही कहा जा सकता है की ' गया तेल लगाने ' :):):) .)RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-44970331431976647352009-07-06T13:53:47.247+05:302009-07-06T13:53:47.247+05:30मुझे अच्छा यह लगा कि गौतमजी न सिर्फ गज़ल या संस्मर...मुझे अच्छा यह लगा कि गौतमजी न सिर्फ गज़ल या संस्मरण के महारथी है बल्कि वे वैचारिक स्तर पर साहित्य की परख करने से भी नही हिचकिचाते है। सम्भव है इसीलिये मुझे उनका ब्लोग रुचिकर लगता है।<br />same problem....<br /><br />हमने कभी पढा नहीं शायद यादव जी को..<br />एक बार सुना अवश्य था ..<br />और अब ना पढ़ना है ना सुनना...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-23810468711196396012009-07-05T17:06:54.893+05:302009-07-05T17:06:54.893+05:30BADHIYA LEKH AUR UTAN HI ACCHA LAGA AJIT JI KA COM...BADHIYA LEKH AUR UTAN HI ACCHA LAGA AJIT JI KA COMMENT !!<br /><br />KAI DINO BAAD AAYA APKE BLOG MAIN KSHAMA PRARTI HAIN !!<br /><br />AB NIYAMAT BANE RAHEINGE....<br /><br />...AUR HAAN AB BHI AAPKI "PITAJI" WALI POEM DIL MAIN BASI HAI !<br /><br />:)दर्पण साहhttps://www.blogger.com/profile/14814812908956777870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-54100260907983903972009-07-03T19:56:41.306+05:302009-07-03T19:56:41.306+05:30मासूम हूं
इसलिये
छला जाता हूं,
हर बार बस
यू ही
अके...मासूम हूं<br />इसलिये<br />छला जाता हूं,<br />हर बार बस<br />यू ही<br />अकेला<br />रह जाता हूँ ।<br /><br />padha aur accha laga..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-50022068523147203222009-07-01T21:46:58.940+05:302009-07-01T21:46:58.940+05:30पुनश्च ::रोचक ढंग से लिखा इतिहास भी और पुराण ...<b><i> पुनश्च ::</i></b>रोचक ढंग से लिखा इतिहास भी और पुराण आदि भी साहित्य की ही श्रेणी में आएंगे | जिसे एतराज हो [ शायद 'कार ' को हो ] वह सोचे कि जब '' तोल्स्तोय की ' वार ऐंड पीस ' " को विश्व साहित्य की श्रेठ रचना माना जा सकता है तो " महाभारत " को क्यों नही |'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा ::https://www.blogger.com/profile/02846750696928632422noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-3828928917270391532009-07-01T21:42:01.444+05:302009-07-01T21:42:01.444+05:30Masoom hee chhale jaate hain...phirbhee har maasoo...Masoom hee chhale jaate hain...phirbhee har maasoomiyat ko mera naman hai.."chhale' jaate hain, chhalte to nahee...!<br /><br />http://kavitasbyshama.blogspot.com<br /><br />http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com<br /><br />http://lalitlekh.blogspot.comshamahttps://www.blogger.com/profile/15550777701990954859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-25497639094019952182009-07-01T21:30:03.043+05:302009-07-01T21:30:03.043+05:30मैं औरों यानि विद्वानों की बात तो नहीं करता ...मैं औरों यानि विद्वानों की बात तो नहीं करता क्यों की मैं साधारण पढ़ा-लिखा एक आम - आदमी हूँ उसी की तरह अपनी बात कहूँगा 'मेरी निगाह में साहित्य वह है जो दिल में उतर जाये कुछ देर कुछ और न सोचा जासके ,'' वह चाहे दुखांत-सुखांत-व्यंग्यात्मक ,रोमांचक ,रोचक मनोरंजक चाहे जैसी भी कहानी हो ,उपन्यास ,कविता हो यहाँ तक की लघु कथा भी मेरी दृष्टि में साहित्य हो सकता है | और रही बात आप के तथाकथित, 'कार ' की तो ....अच्छा छोडिये जाने दीजिये , इतनी देर में किसी नवागंतुक का ब्लोग पढ़कर उसका उत्साहवर्धन या किसी पुराने ब्लोगर को टिप्पिया लूँगा | शेष फिर कभी अगली मुलाकात [पोस्ट ]पर |'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा ::https://www.blogger.com/profile/02846750696928632422noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-39333395154229806582009-06-27T22:20:13.355+05:302009-06-27T22:20:13.355+05:30आपकी यह कविता मेरे दिल को छू गयी ,कितनी सही बाते ह...आपकी यह कविता मेरे दिल को छू गयी ,कितनी सही बाते है ,हर शब्द में जीवन का अनुभव झलकता हुआ ,अच्छाई वाकई छली जाती हैज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-34262615089059860872009-06-26T21:24:43.650+05:302009-06-26T21:24:43.650+05:30अब वो माने
या ना माने
समर्पण करे
या ना करे
मुझे प्...अब वो माने<br />या ना माने<br />समर्पण करे<br />या ना करे<br />मुझे प्राथमिकता दे<br />या ना दे<br />मै तो उन्हे सिर्फ<br />प्रेम किये जाता हूं।हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-12517620470974125992009-06-26T18:31:26.271+05:302009-06-26T18:31:26.271+05:30आपका ब्लॉग नित नई पोस्ट/ रचनाओं से सुवासित हो रहा ...आपका ब्लॉग नित नई पोस्ट/ रचनाओं से सुवासित हो रहा है ..बधाई !!<br />__________________________________<br />आयें मेरे "शब्द सृजन की ओर" भी और कुछ कहें भी....KK Yadavhttps://www.blogger.com/profile/05702409969031147177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-19000470374494903372009-06-26T08:10:28.395+05:302009-06-26T08:10:28.395+05:30बहुत अच्छा लेख....बहुत बहुत बधाई....
रचना अच्छी लग...बहुत अच्छा लेख....बहुत बहुत बधाई....<br />रचना अच्छी लगी...<br />एक नई शुरुआत की है-समकालीन ग़ज़ल पत्रिका और बनारस के कवि/शायर के रूप में...जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा....प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-11837151513058032412009-06-25T19:44:27.190+05:302009-06-25T19:44:27.190+05:30गद्य हो या पद्य दोनो ही साहित्य को अमर करते हैं. ब...गद्य हो या पद्य दोनो ही साहित्य को अमर करते हैं. बढ़िया विमर्श.शुक्रिया<br /><br /><a href="http://www.hindikunj.com" rel="nofollow">"हिन्दीकुंज" </a>Ashutoshhttps://www.blogger.com/profile/17163956645701093136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-14995650644813782012009-06-24T21:54:04.160+05:302009-06-24T21:54:04.160+05:30प्रिय अमित ,खुश रहो | बहुत दिन बाद आपके ब्लॉग पर आ...प्रिय अमित ,खुश रहो | बहुत दिन बाद आपके ब्लॉग पर आ पाया | मन मत्स्य ,किसी बिरले को खो दे और सड़क और मैं पढ़ा /सैर के वास्ते सड़कों पे निकल आते थे अब तो आकाश से पथराव का दर है दुष्यंत जी को अपनी डायरी के पन्नों में ऐसी जगह फिट किया है कि लेख में जान डालदी |आप गद्ध्य के प्रति विचारों में तपे ,साहित्यकार को तपना ही चाहिए |पाचन तंत्र के बलिष्ठ होने की बात सही है आप उनकी आलोचना भेज दीजिये ,तुंरत छाप जायेगी ,यह महानता भी है |खैर |<br />दुर्भाग्य बश उनकी रचना पढने वाली (कहीं स्त्री विमर्श तो नहीं )व्यंग्य अच्छा लगा |कहानी साहित्य की एक विधा है | मूर्ती में ही भगवान् हैं कहने की वजाय मूर्ती में भी भगवन हैं |लहर समुद्र भी है और उसका एक हिस्सा भी ||महाकाव्य और खंडकाव्य स्वम साहित्य भी हैं और साहित्य का हिस्सा भी वर्तमान में मैं भी छला जाकर अकेला हो गया हूँBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-83557512794104954082009-06-24T20:59:58.843+05:302009-06-24T20:59:58.843+05:30अमिताभजी सहित्य के बारे मे मेरे जैसी अल्पग्य क्या ...अमिताभजी सहित्य के बारे मे मेरे जैसी अल्पग्य क्या कह सकती है मगर मुझे आपकी कविता बहुत अच्छी लगीशब्दों के सरित प्रवाह मे बह गयीअपना लेखा-जोखा<br />पायथोगोरस का<br />सिद्धांत भी नही,<br />जितने जोड<br />बनाता हूं<br />उतने ही<br />घटाव किये<br />जाता हूं।<br />जीवन इसी जोड घटा मे ही तो बीत जाता है सुन्दर अभिव्च्यक्ति आभार्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-21810235429992300822009-06-24T20:59:56.895+05:302009-06-24T20:59:56.895+05:30अमिताभजी सहित्य के बारे मे मेरे जैसी अल्पग्य क्या ...अमिताभजी सहित्य के बारे मे मेरे जैसी अल्पग्य क्या कह सकती है मगर मुझे आपकी कविता बहुत अच्छी लगीशब्दों के सरित प्रवाह मे बह गयीअपना लेखा-जोखा<br />पायथोगोरस का<br />सिद्धांत भी नही,<br />जितने जोड<br />बनाता हूं<br />उतने ही<br />घटाव किये<br />जाता हूं।<br />जीवन इसी जोड घटा मे ही तो बीत जाता है सुन्दर अभिव्च्यक्ति आभार्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-33852620443947831092009-06-22T23:34:40.198+05:302009-06-22T23:34:40.198+05:30"मासूम हूं
इसलिये
छला जाता हूं,
हर बार बस
यू ..."मासूम हूं<br />इसलिये<br />छला जाता हूं,<br />हर बार बस<br />यू ही<br />अकेला<br />रह जाता हूँ ।"<br /><br /><br />अब आपने सब कह दिया इन कुछ पंक्तयों में... हम क्या कहें? :))<br />बहुत सारा अर्थ समाया हुआ है इन चंद शब्दों में... हम अब क्या कहें?? :))<br /><br />और यही मैं कहना चाहता हूँ.... की कविता तो वो 'साहित्य' की विधा है जो थोड़े में बहुत समेटने की विद्या रखती है.<br />कम शब्दों में ज्यादा कहना... वोही तो कविता है.<br />और मेरे विचारों से... <br /><br />साहित्य तो वोह है,<br />जो शब्दों के माध्यम से,<br />सुन्दर चित्र उकेरे, <br />कल्पना को रूप दे, <br />सच को बखान करे, <br />सन्देश को आवाज दे, <br />समाज को दर्पण दे,<br />मन को उड़ान दे,<br />पाठक को रस-पान दे....<br /><br />बस वोही साहित्य है... जिस भी रूप में हो... किस्सा, कहानी, गीत, कविता, नाटक.... जो भी..<br /><br />हाँ कुछ लोग हैं, जो लिखे हुए पन्नों के अनुसार (किलो से या संख्या से) 'साहित्य' को भाव देते हैं..<br />पर होंगे वो कोई और...<br /><br />आपको और आपके साहित्य को मेरे जैसे प्यासे पाठक का नमन!!!!<br /><br />~जयंतजयंत - समर शेषhttps://www.blogger.com/profile/13334653461188965082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-49423439739703285932009-06-22T00:36:45.107+05:302009-06-22T00:36:45.107+05:30आपको पिता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...
---
चाँद,...आपको पिता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...<br /><br />---<br /><a href="http://prajapativinay.blogspot.com" rel="nofollow">चाँद, बादल और शाम</a> | <a href="http://pinkbuds.blogspot.com" rel="nofollow">गुलाबी कोंपलें</a>Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-23305653879789755232009-06-21T22:18:44.535+05:302009-06-21T22:18:44.535+05:30अच्छी कविता.....भावपूर्ण.....साहित्य ज्ञान में नास...अच्छी कविता.....भावपूर्ण.....साहित्य ज्ञान में नासमझ हूँ लेकिन इतने सारे महारथी अपने विचार व्यक्त कर गए है....सो पढ़कर अच्छा लगा.....<br /><br />साभार<br /><a href="http://woyaadein.blogspot.com/" rel="nofollow">हमसफ़र यादों का.......</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-83309117807939186692009-06-21T14:33:16.628+05:302009-06-21T14:33:16.628+05:30आप ने लिखा--'कहने का तात्पर्य यह है कि जो यह स...आप ने लिखा--'कहने का तात्पर्य यह है कि जो यह समझते है कि साहित्य कहानी या गद्य को ही कहा जाता है वे मेरी समझ मे ना समझ है।'<br /><br />यही मेरी भी राय है..<br />मैं ने भी गौतम जी की पोस्ट पर राजेन्द्र जी की बातोंपर असहमति ज़ाहिर की थी.<br /><br />आप ने बहुत ही सुलझे हुए ढंग से इसे प्रस्तुत कर दिया है.<br />-आप की कविता भी गहन भाव लिए हुए है---<br /><br />मासूम ही हर बार छला जाता है..<br />और दुनिया की इस भीड़ में अकेला रह जाता है..Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-6544095768808782192009-06-21T07:47:01.529+05:302009-06-21T07:47:01.529+05:30अमिताभ जी...बहुत दिनों बाद आपकी ख़ूबसूरत पोस्ट पड़ने...अमिताभ जी...बहुत दिनों बाद आपकी ख़ूबसूरत पोस्ट पड़ने को मिला उसके लिए धन्यवाद ! आपने इतना सुंदर लिखा है कि कहने के लिए अल्फाज़ कम पर गए! आप जैसे महान लेखक को मैं सिर्फ़ इतना कहूँगी कि आपकी लेखनी को सलाम! आपने बहुत ही सरल, ख़ूबसूरत और उम्दा कविता लिखा है जो मुझे बेहद पसंद आया!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-36917324358154167852009-06-20T23:23:45.221+05:302009-06-20T23:23:45.221+05:30"क्योकि
मासूम हूं।
हर बार
छलने के
लिये ही हूं..."क्योकि<br />मासूम हूं।<br />हर बार<br />छलने के<br />लिये ही हूं। " <br /><br />सत्य वचन.<br /><br />इतना सारगर्भित लेख लिखने के बाद भी अपनी गंगा सी पवित्र मासूमियत का अहसास करा ही दिया, यही तो खास बात है पद्य में जो चन्द अक्षरों में ही वह सब कुछ कह जाता जो बाकी कहने में बहुत इंतजार कराते हैं. <br /><br />चन्द्र मोहन गुप्तMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-37855839362977657802009-06-20T12:08:38.090+05:302009-06-20T12:08:38.090+05:30Bahut sundar vivechan aur vishleshan.
____________...Bahut sundar vivechan aur vishleshan.<br />_______________________________<br />अपने प्रिय "समोसा" के 1000 साल पूरे होने पर मेरी पोस्ट का भी आनंद "शब्द सृजन की ओर " पर उठायें.KK Yadavhttps://www.blogger.com/profile/05702409969031147177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-3190090213432529332009-06-20T00:47:11.194+05:302009-06-20T00:47:11.194+05:30amitabhji
"असल साहित्य क्या है ?"
is sh...amitabhji <br />"असल साहित्य क्या है ?"<br />is sheershak ko padhkar aur andar ke kuch ansh padhkar mujhe achry ramchandra shukl ki aalochnatmk sheeli ka smrn ho aaya hai .sahity ki<br />barikiyo se avgt krane ke liye bhut bhut dhnywad.<br />निजत्व जो है<br />नीरा पवित्र है,<br />किंतु, ठीक है<br />गंगा की तरह<br />मैला कर<br />दिया जाता हूं,<br />तो कर दिया जाता हूं।<br /><br />nijatv pavitr hai to pavitr hai hi ?aur yh pavitrta hi shrdha ka aadhar hai .<br />sahity aur uski mukhay vidha kavita bhut achi lgi .शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-29277170573124852362009-06-19T23:23:09.941+05:302009-06-19T23:23:09.941+05:30मासूम हूं
इसलिये
छला जाता हूं,
हर बार बस
यू ही
अके...मासूम हूं<br />इसलिये<br />छला जाता हूं,<br />हर बार बस<br />यू ही<br />अकेला<br />रह जाता हूँ ।<br />... प्रसंशनीय अभिव्यक्ति !!!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-83644437205282151522009-06-19T15:10:43.462+05:302009-06-19T15:10:43.462+05:30अमिताभ जी,
बहुत ही भोली और मासूम सी कविता जो स्वा...अमिताभ जी,<br /><br />बहुत ही भोली और मासूम सी कविता जो स्वार्थी दौर में भी अपने मन में बड़ी जगह लिये है और खुली हुई है और अपने छले जाने को नियति मानते हुये उद्दत है :-<br /><br />निजत्व जो है<br />नीरा पवित्र है,<br />किंतु, ठीक है<br />गंगा की तरह<br />मैला कर<br />दिया जाता हूं,<br />तो कर दिया जाता हूं।<br /><br />अपना लेखा-जोखा<br />पायथोगोरस का<br />सिद्धांत भी नही,<br />जितने जोड<br />बनाता हूं<br />उतने ही<br />घटाव किये<br />जाता हूं। <br /><br /><br />सादर,<br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.com