tag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post6959505651691145541..comments2023-11-03T21:13:09.282+05:30Comments on अमिताभ: मेरी नज़र में-नाटककार चरणदास सिद्धू (भाग-2)अमिताभ श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-16388626199556870942010-04-01T09:48:40.362+05:302010-04-01T09:48:40.362+05:30वाह क्या भूमिका बाँधी है इस पोस्ट में। तुसी छा गए ...वाह क्या भूमिका बाँधी है इस पोस्ट में। तुसी छा गए जी। "अनुभव......शक़्ति पर निर्भर है।" <br />"दूसरों के वास्ते जिया जाय' वाला कथन मुझे थोडा सा खनकता है"<br />चलिए इस पर आज हम भी कुछ कहेंगे शाम को। वक्त मिला तो हमारा दरवाजा खटखटाईएगा। बाकी ये पोस्ट बेहतरीन लिखी है आपने। मैं भी सोच रहा था कि सुखी जीवन वाली उनकी थ्योरी पर हम भी कुछ लिखें। पर फिर टाल गया। आप जब किसी point को पकड़ते हो सटीक पकड़ते हो। वैशक हम सहमत हो या ना वो अलग बात है। आपने सही विशलेषण किया है। और जब भी दिल्ली आऐगे कोशिश करेगे कि आपको उनके नाटक भी मिल जाए। और हाँ आपने जो मेरे ब्लोग पर अपनी पोस्ट पर जो टिपपणी की थी उसका जवाब अल्पना जी ने सही रुप से दे दिया है बिल्कुल यही बात मैंने भी कल कही थी आपसे। इसलिए उनकी कही बात पर गौर किया जाए और जरुर माना जाए ऐसा हमारा कहना है जी आपके दोस्त का।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-3577074839456926802010-04-01T01:06:29.033+05:302010-04-01T01:06:29.033+05:30सिद्धू जी का व्यक्तित्व प्रभावशाली और प्रेरक है
आ...सिद्धू जी का व्यक्तित्व प्रभावशाली और प्रेरक है <br />आप ने 'यथार्थवादी दर्शन 'को मानने वाले माननीय सिद्धू जी के विचारों/दर्शन की समीक्षा<br />और बेहतरीन प्रस्तुति की है .<br />उनके नाटकों की समीक्षा की प्रतीक्षा रहेगी.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-37499225950875109402010-04-01T00:48:27.568+05:302010-04-01T00:48:27.568+05:30@अमिताभ जी...Talaash par aap ke comment par mera y...@अमिताभ जी...Talaash par aap ke comment par mera yah kahnaa hai--:<br /> मेरे ख्याल से अपने मन के सुख और संतोष के लिए लिखना चाहिये.<br />ऐसे आलेखों को जिनसे हम सीखते हैं उनपर कमेन्ट नहीं मिलते थोड़ा बुरा लगता है परन्तु<br />ऐसे लेख अगर १०० में १ के भी काम आ जाएँ तो लिखना सार्थक हो जाता है.<br />ऐसे बहुत से ब्लॉग उदाहरण हैं मेरा ब्लॉग 'भारत दर्शन' भी एक ऐसा उदाहरन है लेकिन मुझे उसपर लिखने से आत्म संतुष्टि मिलती है.<br />कि मैं ने खुद कुछ सीखा और नेट पर हिंदी में उपलब्ध सामग्री में इज़ाफा किया.<br />सुशील जी या आप जैसे लेखक लिखना बंद कर देंगे तो यह हिंदी ब्लॉग्गिंग के हित में नहीं होगा.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-66833112081515488112010-03-31T23:25:25.031+05:302010-03-31T23:25:25.031+05:30अनुभव जब एकत्र हो जाते हैं तो वे रिसने लगते हैं। म...अनुभव जब एकत्र हो जाते हैं तो वे रिसने लगते हैं। मस्तिष्क में छिद्र बना लेते हैं और ढुलकने लगते हैं, कभी-कभी हमे लगता है अपनी खूबियों को बखानने के लिये व्यक्ति लिख रहा है, बोल रहा है या समझा रहा है।<br />bahut sundar shbdo ke sath shuruat ki hai sidhhuji ke jeevan vrtant par .ak ly si ban gai hai ahli kadi ka intjar.शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-33765587840860441262010-03-31T17:13:04.753+05:302010-03-31T17:13:04.753+05:30आपके विचार सिद्धू जी बारे में पढ़े अच्छे लगे अपना ज...आपके विचार सिद्धू जी बारे में पढ़े अच्छे लगे अपना जीवन किसी कला को समर्पित कर देना उनकी लगन और दृढ इच्छाशक्ति का द्योतक है अगली कड़ी का इंतज़ार .....रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-65427914617432311412010-03-31T07:33:11.737+05:302010-03-31T07:33:11.737+05:30पिछला कमेन्ट पिछली पोस्ट (part one) के ऊपर था.......पिछला कमेन्ट पिछली पोस्ट (part one) के ऊपर था....दर्पण साहhttps://www.blogger.com/profile/14814812908956777870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-13102914178459936712010-03-31T07:30:48.822+05:302010-03-31T07:30:48.822+05:30किसी भी व्यक्ति की बात करें तो हम तो अपने साथ उम्र...किसी भी व्यक्ति की बात करें तो हम तो अपने साथ उम्र भर रहते हैं हम अपने को ही कितना जान पाए हैं? कहा जाता है की जब दो लोग मिलते हैं तो वहां पे ६ व्यक्ति मौजूद होते हैं, एक: जो पहला अपने बारे में सोचता है, दो: जो दूसरा अपने बारे में सोचता है, तीन: जो पहला दुसरे के बारे में सोचता है, चार: जो दूसरा पहले के बारे में सोचता है और पांचवा और छठा क्रमशः: जो वो दोनों वास्तव में हैं.<br /><br />इस देश में बेहतरीन नाटककार शेष ही कितने हैं? <br />और विडम्बना ये की, नाटककार शब्द को हटा के भी इस शब्द के मायने नहीं बदलते.<br />मोहन राकेश, हबीब तनवीर, विजय तेंदुलकर, सफ़दर हाश्मी, बी वी कारन्त....<br />उफ्फ्फ....<br /><br />वैसे मुझे पूरा लेख पढने के बाद आनंद movie याद आ रही है जहाँपनाह.<br />आज लगता है फिर श्री राम सेंटर या एन. एस. डी. में ५० रुपये खर्च करके किसी नाटककार को बचने की कोशिश करनी पड़ेगी...दर्पण साहhttps://www.blogger.com/profile/14814812908956777870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-81422576564439859542010-03-30T21:37:58.552+05:302010-03-30T21:37:58.552+05:30हालांकि तमाम नदियां लगभग एक सी होती हैं, कल कल कर ...हालांकि तमाम नदियां लगभग एक सी होती हैं, कल कल कर बहना जानती हैं, उन्हें हम पवित्र-साधारण-अपवित्र आदि भले ही कह लें किंतु किसी भी नदी को इससे कोई मतलब नहीं होता कि उसे कैसा माना जा रहा है या वो कैसी है? वो तो निरंतर बहती है, सागर में जा मिलती है। आप चाहे तो उसके पानी का सदुपयोग कर लें या उसे व्यय कर लें, या फिर नज़रअंदाज़ कर लें, यह सब कुछ हम पर निर्भर होता है। ठीक ऐसे ही आदमी के अनुभव होते हैं, जो रिसते हैं, कलम के माध्यम से या प्रवचन के माध्यम से या किसी भी प्रकार के चल-अचल माध्यम से। <br /><br /><br /> गद्य-कविता है अमिताभ जी! बहुत गंभीरता के साथ आप जिन्दगी को बुन भी रहे हैं और उधेड़ भी रहे हैं। दोनों ही सृजन हैं।kumar zahidhttps://www.blogger.com/profile/16434201158711856377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-82617863515688562742010-03-30T16:00:15.257+05:302010-03-30T16:00:15.257+05:30सिद्धू जी के बारे में और जानना अच्छा लग रहा है ......सिद्धू जी के बारे में और जानना अच्छा लग रहा है ... उनके जीवन के विभिन्न पहलू खोलती आपकी सार्थक पोस्ट पढ़ कर अच्छा लगा अमिताभी जी ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-53152767084934840672010-03-30T07:10:28.853+05:302010-03-30T07:10:28.853+05:30बढ़िया रहा..अगली पोस्ट का इन्तजार है.बढ़िया रहा..अगली पोस्ट का इन्तजार है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com