tag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post5960179620624833873..comments2023-11-03T21:13:09.282+05:30Comments on अमिताभ: तेरी प्रतिमाअमिताभ श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-33768549349143604492010-05-13T23:13:05.467+05:302010-05-13T23:13:05.467+05:30Waahh waahhh....
Ati aanandam praapnoti naa shans...Waahh waahhh.... <br />Ati aanandam praapnoti naa shanshayam...<br /><br />"पर कौन कहेगा तुझको मेरी यह अकथ कहानी<br />शायद ही पहुंचे बह कर, खारा आंखों का पानी।"<br /><br /><br />JCजयंत - समर शेषhttps://www.blogger.com/profile/13334653461188965082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-47886972195715691702010-05-11T23:32:09.071+05:302010-05-11T23:32:09.071+05:30Bahut dino se blog par nahi aye ... kuch likha bhi...Bahut dino se blog par nahi aye ... kuch likha bhi nahi ... asha hai sab kushal hoga ...<br />Apna samaachaar den ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-90804185693419470302010-05-09T07:47:26.173+05:302010-05-09T07:47:26.173+05:30'तेरी प्रतिमा दिखती है नयनों की इन कोरों में
ज...'तेरी प्रतिमा दिखती है नयनों की इन कोरों में<br />जैसे पुष्पों की गरिमा झांकती केवल भोरों में॥<br /><br />... बहुत सुन्दर,बेहतरीनDeepak chaubeyhttps://www.blogger.com/profile/14845743567136269530noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-32965996077512517182010-05-06T19:36:18.570+05:302010-05-06T19:36:18.570+05:30तेरी प्रतिमा दिखती है नयनों की इन कोरों में
जैसे प...तेरी प्रतिमा दिखती है नयनों की इन कोरों में<br />जैसे पुष्पों की गरिमा झांकती केवल भोरों में। <br /><br />अप्रतिम!सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-53820002594720975722010-04-27T22:27:11.552+05:302010-04-27T22:27:11.552+05:30इसमे सचमुच नयापन है ।इसमे सचमुच नयापन है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-77571676318659023012010-04-27T06:42:20.052+05:302010-04-27T06:42:20.052+05:30श्रीवास्तव जी
वाकई अनुशाहित छन्द भाव पूर्ण भी
बधा...श्रीवास्तव जी<br />वाकई अनुशाहित छन्द भाव पूर्ण भी <br />बधाईयां<br />मेरी उत्कंठा खेले जब हृदय पटल पर गा कर<br />झरती है बरबस भरकर, स्मृति बस आंसू बनकर।बाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-71788999560550753992010-04-25T22:44:56.968+05:302010-04-25T22:44:56.968+05:30alnkaro se susjjit smpoorn khubsurat kvita .aapki ...alnkaro se susjjit smpoorn khubsurat kvita .aapki ye vidha aur nya pryog bahut kuch de gya.शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-69611939216036825492010-04-23T14:46:06.709+05:302010-04-23T14:46:06.709+05:30रूखे यौवन सी तब तब मुस्काती मेरी पीडा।
....तुमको ...रूखे यौवन सी तब तब मुस्काती मेरी पीडा। <br />....तुमको ढूंढा मैने पर हा पा न सका औरों में<br />जीवन भर तडपूं बिलखूं बिरहाग्नि अंगारों में।...<br />vry beautiful...sunder bhaav , shabd ka sunder samanvay....!!laveena rastoggihttps://www.blogger.com/profile/15079609215249781643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-59101171021828280212010-04-23T10:55:02.465+05:302010-04-23T10:55:02.465+05:30किनारा पा कर भी करना क्या है, भटकने में कभी कभी कु...किनारा पा कर भी करना क्या है, भटकने में कभी कभी कुछ नया सा मिल तो जाता है<br /><br />बहुत सही कहा आपने अमिताभ जी.....भटकते रहने से नया नया देखने सीखने जाने को मिलता है...और यही जीवन है ......<br /><br />और उतनी ही सुन्दर ये रागमयी कविता ...:)<br /><br />तेरी प्रतिमा दिखती है नयनों की इन कोरों में<br />जैसे पुष्पों की गरिमा झांकती केवल भोरों में<br /><br />क्या कहने .....<br /><br />क्षमा चाहूँगा .....बहुत दिन बाद आया इस तरफ ...:)Nipun Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/16960357101414101878noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-90075345868248559122010-04-20T22:49:42.342+05:302010-04-20T22:49:42.342+05:30लेकिन धाराये बदलने का भी अपना एक अलग आनन्द है भाई ...लेकिन धाराये बदलने का भी अपना एक अलग आनन्द है भाई । जो मन हो लिखते रहो सर्जनात्मकता उसी मे है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-46386268674615890722010-04-20T04:13:32.513+05:302010-04-20T04:13:32.513+05:30bahut hi umda ,babhut hi gaharai se likhi gai post...bahut hi umda ,babhut hi gaharai se likhi gai post. badhiyan likhte hai aap.<br /> poonamपूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-82017385983918658432010-04-16T22:54:44.598+05:302010-04-16T22:54:44.598+05:30Uff! Kitna dard hai is rachana me!Uff! Kitna dard hai is rachana me!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-18914291239577971842010-04-16T19:43:25.201+05:302010-04-16T19:43:25.201+05:30shabd vinyas bahut khoobsurat hai..kuchh shabd bah...shabd vinyas bahut khoobsurat hai..kuchh shabd bahut acchhe prayog huai hai. bahtareen rachna.badhayi.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-45242840772709912982010-04-15T20:19:31.243+05:302010-04-15T20:19:31.243+05:30पुराने कवियों की याद ताज़ा करदी | तुझको पीड़ा में ...पुराने कवियों की याद ताज़ा करदी | तुझको पीड़ा में ढूंढा अब तुझमे ढूंढेंगे पीड़ाBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-54670782640179012672010-04-15T18:02:40.242+05:302010-04-15T18:02:40.242+05:30पर कौन कहेगा तुझको मेरी यह अकथ कहानी
शायद ही पहुंच...पर कौन कहेगा तुझको मेरी यह अकथ कहानी<br />शायद ही पहुंचे बह कर, खारा आंखों का पानी।<br />सुन्दर अभिव्यक्ति...rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-4619901515146806552010-04-15T16:52:16.984+05:302010-04-15T16:52:16.984+05:30आज तो जैसे रस तपाक रहा है आपके ब्लॉग पर .. लय तो ह...आज तो जैसे रस तपाक रहा है आपके ब्लॉग पर .. लय तो है बस आवाज़ और ताल की कमी है ... मा सरस्वती उतार आई हैं आज लेखनी में ... बहुत अच्छा लिखा है अमिताभ जी ...<br /><br />मेरी उत्कंठा खेले जब हृदय पटल पर गा कर<br />झरती है बरबस भरकर, स्मृति बस आंसू बनकर।<br /><br />स्मृति के मधुर पल ... कभी आँसू तो कभी मुस्कुराहट ... लाजवाब लिखा है ..<br /><br />स्मृति तेरी रे सचमुच अब बन बैठी दीवानी<br />चिर अजिरल मौन प्रतीक्षा, थी मेरी ही नादानी। <br /><br />बहुत सुंदर शब्द हैं ... पर उनकी स्मृति मौन प्रतीक्षा को कुछ कम कर देती है .....<br /><br />पर कौन कहेगा तुझको मेरी यह अकथ कहानी<br />शायद ही पहुंचे बह कर, खारा आंखों का पानी।<br /><br />इस खारे पानी को बचा कर रखना ही उचित है ... क्या पता कभी पीने के काम आ जाएँ ... कहानी तो कभी न कभी उन तक पहुँच ही जाएगी ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-423327027066609912010-04-15T12:47:15.133+05:302010-04-15T12:47:15.133+05:30तुमको ढूंढा मैने पर हा पा न सका औरों में
जीवन भर त...तुमको ढूंढा मैने पर हा पा न सका औरों में<br />जीवन भर तडपूं बिलखूं बिरहाग्नि अंगारों में।<br /><br />तेरी प्रतिमा दिखती है नयनों की इन कोरों में<br />जैसे पुष्पों की गरिमा झांकती केवल भोरों में॥<br />वाह अमिताभ जी आज तो हवा ही कुछ और है भटकने का मज़ा भी और है और इस पोस्ट का भीरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-49229424912335758862010-04-15T09:17:21.654+05:302010-04-15T09:17:21.654+05:30तेरी प्रतिमा दिखती है नयनों की इन कोरों में
जैसे प...तेरी प्रतिमा दिखती है नयनों की इन कोरों में<br />जैसे पुष्पों की गरिमा झांकती केवल भोरों में॥" <br />....Ek naya pyarbhara tarana sachmuch kuch hatkar... Bahut achha laga... hona bhi chahiye kuch nutan....<br />Bahut shubhkamnayne.कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-91718373685530404172010-04-14T22:17:46.519+05:302010-04-14T22:17:46.519+05:30'तेरी प्रतिमा दिखती है नयनों की इन कोरों में
ज...'तेरी प्रतिमा दिखती है नयनों की इन कोरों में<br />जैसे पुष्पों की गरिमा झांकती केवल भोरों में॥"<br /><br />हिंदी के सुन्दर शब्द का प्रयोग और सशक्त भावाभिव्यक्ति .<br />कविता बहुत पसंद आई.<br /><br />'भटकने में कभी कभी कुछ नया सा मिल तो जाता है'<br />कवियों और लेखकों की यही तो खासियत है कि 'ठहराव 'शब्द ही अजनबी है उनके लिए..<br />नयी विधा नयी शैली आजमाते रहना लेखन में विविधता और रोचकता लाता है..अन्यथा एकरस रचनाएँ पाठक भी पसंद नहीं करते.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-16376678565109899312010-04-14T22:15:21.003+05:302010-04-14T22:15:21.003+05:30भरी भरकम शब्दों में से हमें जो अत्यंत सुन्दर लगा व...भरी भरकम शब्दों में से हमें जो अत्यंत सुन्दर लगा वो ये है...<br /><br />पर कौन कहेगा तुझको मेरी यह अकथ कहानी<br />शायद ही पहुंचे बह कर, खारा आंखों का पानी...<br /><br />लेकिन अमिताभ जी, इस कविता में उन कवियों की आत्माओं को प्रसन्न करने की क्षमता है जिन्हें नयी पीढ़ी के लोग अब समझ नहीं पाते और इसलिए केवल लाइब्रेरी की शोभा बढ़ने के लिए रखते हैं...<br />धन्यवाद ऐसी कविता लिखने के लिए...Neeraj Kumarhttps://www.blogger.com/profile/14312648658352009451noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-22358323938607629022010-04-14T20:01:03.421+05:302010-04-14T20:01:03.421+05:30स्मृति तेरी रे सचमुच अब बन बैठी दीवानी
चिर अजिरल म...स्मृति तेरी रे सचमुच अब बन बैठी दीवानी<br />चिर अजिरल मौन प्रतीक्षा, थी मेरी ही नादानी।<br />पर कौन कहेगा तुझको मेरी यह अकथ कहानी<br />शायद ही पहुंचे बह कर, खारा आंखों का पानी।<br />बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ! अत्यंत सुन्दर और भावपूर्ण रचना! बहुत बढ़िया लगा! लाजवाब! उम्दा प्रस्तुती!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-71492900818269769402010-04-14T10:24:17.578+05:302010-04-14T10:24:17.578+05:30अभी एक रचना की खुमारी उतरी नही थी कि दूसरी रचना पे...अभी एक रचना की खुमारी उतरी नही थी कि दूसरी रचना पेश कर दी। लगता है अब तो ये खुमारी कई दिनों तक नही उतरेगी। इस "तेरी प्रतिमा" वाली रचना का ख्याल कहाँ से आया जी। शुक्रिया उस हवा और उस समय का जिसकी वजह हमें एक और बेहतरीन रचना पढने को मिली। एक एक शब्द बहुत कुछ कहता है। और अंदर तक छूता है। और हाँ गजब की लय बनी है जी।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-53625073806317944342010-04-14T08:48:03.567+05:302010-04-14T08:48:03.567+05:30"तेरी प्रतिमा दिखती है नयनों की इन कोरों में
..."तेरी प्रतिमा दिखती है नयनों की इन कोरों में<br />जैसे पुष्पों की गरिमा झांकती केवल भोरों में।<br /><br />बहुत सुन्दर।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-43578214618380239082010-04-14T07:32:12.763+05:302010-04-14T07:32:12.763+05:30वाह वाह अमिताभ क्या बात है , कमाल है । उडन जी की ...वाह वाह अमिताभ क्या बात है , कमाल है । उडन जी की रिक्वेस्ट को हमारा भी वोट हैअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-68730711205578758422010-04-14T07:11:19.851+05:302010-04-14T07:11:19.851+05:30niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.com