tag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post1256610708620826072..comments2023-11-03T21:13:09.282+05:30Comments on अमिताभ: 'मुश्फिक' की फिक्रअमिताभ श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-17142224094197255832010-02-07T06:48:51.385+05:302010-02-07T06:48:51.385+05:30आभार इस परिचय का..जनसत्ता वाले आलेख से इधर आया.आभार इस परिचय का..जनसत्ता वाले आलेख से इधर आया.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-70293309210083645832010-02-01T23:45:42.859+05:302010-02-01T23:45:42.859+05:30" इस गरानी में भी, नातवानी में भी
लोग जिन्दा ..." इस गरानी में भी, नातवानी में भी<br />लोग जिन्दा हैं, जिन्दादिली देखिये।" <br /><br />Inki ghazalon se parichay karane ka shukriya.sandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-13271613058575141772010-02-01T13:16:17.499+05:302010-02-01T13:16:17.499+05:30आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आयी और देर से आने का अहस...आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आयी और देर से आने का अहसास हुआ <br />बेमिसाल,लाजवाब बस और क्या लिखूंरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-86519730226849869262010-02-01T08:05:42.648+05:302010-02-01T08:05:42.648+05:30अमित जी, जनाब मुस्तफा हुसैन 'मुश्फिक' को प...अमित जी, जनाब मुस्तफा हुसैन 'मुश्फिक' को पढ़ाने के लिए शुक्रिया . बहुत सुंदर गज़ल है, सभी शेर लाज़वाब हैं. एक पर शंका है कृपया समाधान दें..<br />फितरत का करिश्मा है जादू है ना होना है<br />सोना कभी मिट्टी है मिट्टी कभी सोना है।<br />..कहीं मूल शेर में जादू है न टोना है तो नहीं है!<br />..आभार.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-49602583190480171182010-01-31T20:25:58.204+05:302010-01-31T20:25:58.204+05:30जिसने निबाह दी है हर गर्दिशे दौरां से
उस सच को ढूं...जिसने निबाह दी है हर गर्दिशे दौरां से<br />उस सच को ढूंढना भी अपनों ही को खोना है।<br /><br />मुद्दत से ये हसरत है हो ताबे नज़र 'मुश्फिक'<br />फिर उसके नज़ारों से हो जाये जो होना है। ...mahan shayar ki achchhi rchna se rubroo karwane ka shrey aapko jata hai....sadhuwadकमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹https://www.blogger.com/profile/00826133201795019152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-43445270423081178242010-01-31T20:20:37.687+05:302010-01-31T20:20:37.687+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹https://www.blogger.com/profile/00826133201795019152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-12068440027108540822010-01-31T19:11:15.957+05:302010-01-31T19:11:15.957+05:30गुजरी हैं कई सुबहें हर शाम गुजरती है
हम खानाबदोशों...गुजरी हैं कई सुबहें हर शाम गुजरती है<br />हम खानाबदोशों का तकिया न बिछौना है ...<br />कलाम अच्छा लगा सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई!कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-54552922005211908632010-01-31T07:22:01.359+05:302010-01-31T07:22:01.359+05:30बेनामी ने कहा…
ग़ज़ल जैसी कई चीजें निर्बाध रूप से ...बेनामी ने कहा…<br />ग़ज़ल जैसी कई चीजें निर्बाध रूप से बह रही हैं...<br /><br />किसी और ही मूड में आये थे हम यहाँ.....लेकिन इस रचना में कई ख्याल मन को गहरे तक छू गए...<br /><br />" कितने मलाल हमको जमाने से मिले हैं<br />अब जाके लोग ठीक ठीकाने से मिले हैं।" <br /><br />बहुत लगा दिल को..<br /><br /><br />manu' be-takhallus'<br /><br />Saturday, 30 January, 2010manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-74078979274847536512010-01-30T23:55:20.865+05:302010-01-30T23:55:20.865+05:30ये कमेन्ट हमारा है साहब..
आजकल कभी कभी अनाम भी हो...ये कमेन्ट हमारा है साहब..<br />आजकल कभी कभी अनाम भी हो जाता है..<br /><br />पर हम उसे दोबारा वेरी फाई जरूर करते हैं...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-89728104199729301352010-01-30T23:51:56.743+05:302010-01-30T23:51:56.743+05:30ग़ज़ल जैसी कई चीजें निर्बाध रूप से बह रही हैं...
...ग़ज़ल जैसी कई चीजें निर्बाध रूप से बह रही हैं...<br /><br />किसी और ही मूड में आये थे हम यहाँ.....लेकिन इस रचना में कई ख्याल मन को गहरे तक छू गए...<br /><br />" कितने मलाल हमको जमाने से मिले हैं<br />अब जाके लोग ठीक ठीकाने से मिले हैं।" <br /><br />बहुत लगा दिल को..<br /><br /><br />manu' be-takhallus'Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-20833024599568186662010-01-30T22:31:13.068+05:302010-01-30T22:31:13.068+05:30मुश्फिक़ साहब का यह कलाम अच्छा लगा ।मुश्फिक़ साहब का यह कलाम अच्छा लगा ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-85580998207342264292010-01-29T21:25:56.940+05:302010-01-29T21:25:56.940+05:30जिसने निबाह दी है हर गर्दिशे दौरां से
उस सच को ढूं...जिसने निबाह दी है हर गर्दिशे दौरां से<br />उस सच को ढूंढना भी अपनों ही को खोना है।<br /><br />मुद्दत से ये हसरत है हो ताबे नज़र 'मुश्फिक'<br />फिर उसके नज़ारों से हो जाये जो होना है। <br />Anupam alfaaz hain!shamahttps://www.blogger.com/profile/15550777701990954859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-68799311876778034252010-01-29T17:16:17.393+05:302010-01-29T17:16:17.393+05:30मुस्तफ़ा हुसैन और उनके अशआरों से मिलवाने का शुक्रिय...मुस्तफ़ा हुसैन और उनके अशआरों से मिलवाने का शुक्रिया अमिताभ जी...उन्हें पहले कभी पढ़ने का मौका नहीं मिला था। <br /><br />वैसे ऊपर आपकी इस बात से "गज़ल निर्बाध रूप से बह रही हैं" से तनिक असहमति है अपनी। आप जानते हैं ना क्यों कह रहा हूँ मैं ऐसा...गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-75734322451250590222010-01-28T15:31:33.363+05:302010-01-28T15:31:33.363+05:30एक बेहतरीन शायर और उनके क़लाम से परिचित कराने के ल...एक बेहतरीन शायर और उनके क़लाम से परिचित कराने के लिये आभार और बधाई।Dr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-14341843757760088202010-01-28T10:37:34.797+05:302010-01-28T10:37:34.797+05:30Bahut sunder prastuti...Bahut sunder prastuti...Ravi Rajbharhttps://www.blogger.com/profile/16224660000339492496noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-17056708624546194482010-01-28T09:25:56.936+05:302010-01-28T09:25:56.936+05:30अमिताभ जी अपनी पोटली में से क्या खजाना निकाला है ज...अमिताभ जी अपनी पोटली में से क्या खजाना निकाला है जी। ज्यादा कुछ कह नही पाऊँगा। बस इतना कहूँगा कि सुबह सुबह पूरे दिन का टानिक मिल गया जी। हर शेर दिल को छू गया। <br />जो दिल पे गुजरती है नग्मों में पिरोना है<br />पत्थर के कलेजे को हंसना है न रोना है।<br /><br />और ये शेर कुछ अपन के नजदीक सा लगा।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-7469653707354116752010-01-27T23:56:07.920+05:302010-01-27T23:56:07.920+05:30जो दिल पे गुजरती है नग्मों में पिरोना है
पत्थर के ...जो दिल पे गुजरती है नग्मों में पिरोना है<br />पत्थर के कलेजे को हंसना है न रोना है। vaise to hrek sher lajvab hai kitu yh sher dil ko choo gya .bahut hi sleeke se gjl ke khubsurti ka varnan kiya hai .urdu aur hindi dono ke shbdo ke dhani hai .<br />shubhkamnayeशोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-73628372561504299712010-01-27T23:21:22.771+05:302010-01-27T23:21:22.771+05:30एक ऐसे नायाब हीरे को अंतरजाल पर लोगों से अवगत करान...एक ऐसे नायाब हीरे को अंतरजाल पर लोगों से अवगत कराना बहुत सुखद लगा. जनाब अश्फ़ाक़ साहब को उनकी रूह को जन्नत मिले. आप जैसे अनुभवी लेखक की क़लम से उनके जीवन का एक छोटा सा अंश और उनकी शायरी का नमूना पढ़ कर आँखें नाम हो गईं.<br />इंसा भी मसीयत का अनमोल खिलौना है<br />हर खेल का आखिर है और खेल भी होना है।<br />जो दिल पे गुजरती है नग्मों में पिरोना है<br />पत्थर के कलेजे को हंसना है न रोना है।<br />निहायत खूबसूरत!<br />एक सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई.महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-71164693377564458992010-01-27T23:20:15.209+05:302010-01-27T23:20:15.209+05:30गुजरी हैं कई सुबहें हर शाम गुजरती है
हम खानाबदोशों...गुजरी हैं कई सुबहें हर शाम गुजरती है<br />हम खानाबदोशों का तकिया न बिछौना है।<br /><br />वीराना ही अच्छा है बदकार इमारत से<br />सुख चैन की नींदे हैं और ख्वाब सलोना है।<br /><br /><br />वाह अमिताभ जी ,<br /><br />क्या क्या बेहतरीन रचनाएँ और फनकारों से रूबरू करा रहे हैं आप इन दिनों ! मज़ा आ गया !<br />बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल ! और ग़ज़लें भी सुनने को मिलें इसी तरह ....:):)<br />बहुत बहुत धन्यवाद !Nipun Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/16960357101414101878noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-4122505701994262932010-01-27T23:15:46.050+05:302010-01-27T23:15:46.050+05:30जिसने निबाह दी है हर गर्दिशे दौरां से
उस सच को ढूं...जिसने निबाह दी है हर गर्दिशे दौरां से<br />उस सच को ढूंढना भी अपनों ही को खोना है। <br />बहुत सुन्दर पोस्ट.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-76730194166925249262010-01-27T22:02:05.853+05:302010-01-27T22:02:05.853+05:30बहुत ही ख़ूबसूरत! आपने बड़े ही सुन्दरता से प्रस्तुत...बहुत ही ख़ूबसूरत! आपने बड़े ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! पढ़कर बेहद अच्छा लगा! इस बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-56697375421184028622010-01-27T20:39:50.371+05:302010-01-27T20:39:50.371+05:30इंसा भी मसीयत का अनमोल खिलौना है
हर खेल का आखिर है...इंसा भी मसीयत का अनमोल खिलौना है<br />हर खेल का आखिर है और खेल भी होना है।<br /><br />फितरत का करिश्मा है जादू है ना होना है<br />सोना कभी मिट्टी है मिट्टी कभी सोना है।<br /><br />Wah! Kya gazal hai ! Shkriya ru-b-ru karaneke liye!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-8298541392245963972010-01-27T18:25:10.847+05:302010-01-27T18:25:10.847+05:30फितरत का करिश्मा है जादू है ना होना है
सोना कभी मि...फितरत का करिश्मा है जादू है ना होना है<br />सोना कभी मिट्टी है मिट्टी कभी सोना है।<br /><br />सुन्दर अभिव्यक्ति।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-58545976910662456742010-01-27T16:26:27.054+05:302010-01-27T16:26:27.054+05:30अमित जी ।पहली बात ये कि आप उर्दू भाषा पर काफ़ी दखल ...अमित जी ।पहली बात ये कि आप उर्दू भाषा पर काफ़ी दखल रखते है । मैने इनका नाम पहली बार सुना और गजल आपके द्वारा प्रस्तुत न की जाती तो पढ भी नही पाता । आजकल संग्रह के प्रकाशित होने और साहित्य प्रेमियों को उपलब्ध कराने की प्रक्रिया से तो आप परिचित है ही ।ऐसे और भी शायर कवि होगें जो प्रकाश मे नही आये जब कि ऐसे ऐसे कमाल के शेर और कवितायें रची होंगी ।आपने गजल उपलब्ध कराई इसे नोट कर लिया है वाकई हर शेर बहुत अच्छा हैBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-25106666359304866672010-01-27T13:37:52.183+05:302010-01-27T13:37:52.183+05:30गुजरी हैं कई सुबहें हर शाम गुजरती है
हम खानाबदोशों...गुजरी हैं कई सुबहें हर शाम गुजरती है<br />हम खानाबदोशों का तकिया न बिछौना है ...<br /><br />सच है पूर्ण आज़ादी तो नही है .......... पर ये आज़ादी फिर से संघर्ष कर के ही मिल सकती है .......... जनाब मुश्फिक़ साहब की ने जीवन को इतने करीब से देखा है .......... हर दौर की जद्दोजेहद से रूरू हुवे हैं और ये बात उनकी इस ग़ज़ल में सॉफ नज़र आती है ........... जीवन दर्शन को स्पष्ट बयान कर रही ये ग़ज़ल .........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.com