tag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post3229067763828384697..comments2023-11-03T21:13:09.282+05:30Comments on अमिताभ: सवाल सावन काअमिताभ श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-12235302956414320982011-06-05T17:18:48.918+05:302011-06-05T17:18:48.918+05:30?
जैसे ही ये फोटो सामने आया
लगा की निकल जायेंगे प...?<br />जैसे ही ये फोटो सामने आया <br />लगा की निकल जायेंगे प्राण <br />खिचने लगा कलेजा ,और बहने लगी अश्रुधारा <br />खाना पीना स्कूल जाना सब भूल कर <br />सिर्फ झूला झूलना ,जब तक की <br />शिवाजी सर चोटी पकड़कर स्कूल <br />में न घसीट ले जाएँ .<br />और आज पता चला की हमारा <br />गोलू पोलू विचित्र किसी का <br />घर देखने जितना बड़ा हो गया था .<br />"please be clear kisaka ghar ."RashmiVyashttps://www.blogger.com/profile/03119933517389033986noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-74496530793016589532010-08-11T22:37:24.849+05:302010-08-11T22:37:24.849+05:30प्रश्न बिल्कुल सच्चा उठाया है
झूले की तरह मन मे...प्रश्न बिल्कुल सच्चा उठाया है<br />झूले की तरह मन में बसी यादों को<br />झुलाया है। <br /><br />बस मन झूल रहा है<br />झूल रहा है मानस भी<br />सब कुछ भूल रहा है<br />बस याद है वो<br />जो सब भूल रहा है।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-49083002369316684602010-08-08T19:02:41.548+05:302010-08-08T19:02:41.548+05:30sawan aur neem ke paid ke sath bahut si yaaden taz...sawan aur neem ke paid ke sath bahut si yaaden taza ho gayi.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-66193391883507345242010-08-06T17:20:08.494+05:302010-08-06T17:20:08.494+05:30सावन के इस महीने मे तुम्हारी यह रचना बहुत कुछ याद ...सावन के इस महीने मे तुम्हारी यह रचना बहुत कुछ याद दिला गईशरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-36309302260767704422010-08-05T08:30:03.109+05:302010-08-05T08:30:03.109+05:30इस तस्वीर में उनका घर किस तरफ है जी...?इस तस्वीर में उनका घर किस तरफ है जी...?manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-13518377559102827292010-08-05T08:29:02.757+05:302010-08-05T08:29:02.757+05:30ज्यादा फर्क नहीं...
आपकी कहानी नीम की है..
हमारी प...ज्यादा फर्क नहीं...<br />आपकी कहानी नीम की है..<br />हमारी पीपल की...रात की रानी की ..<br /><br /><br />तनहा पीपल के वो सूखे झडे ,पड़े पत्ते..<br />अजनबी पाँव पड़ने से..<br />अब कहाँ चरमराते हैं...?<br /><br />हरेक शय को नर्म कर गयी है..<br /><br />रात की बारिश...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-44715610577945137942010-08-03T00:10:05.844+05:302010-08-03T00:10:05.844+05:30aji abto bo dale kahan rah gayi ustad magar rachn...aji abto bo dale kahan rah gayi ustad magar rachna ne savan ki yaden taja kar di hujur<br />badhai........................Pushpendra Singh "Pushp"https://www.blogger.com/profile/14685130265985651633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-86714761257478598692010-08-02T18:09:14.388+05:302010-08-02T18:09:14.388+05:30नीम के पेड़ के कई उपयोग शुरू हो गये है बाजार ने इस...नीम के पेड़ के कई उपयोग शुरू हो गये है बाजार ने इसे हाथो हाथ लेकर कमाना शुरू कर दिया है |<br />बहुत ही सुन्दर रची है यादो की महक और चित्र के सूनेपन ने यादो को और गहरा कर दिया |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-44613898348673676282010-07-30T22:33:47.981+05:302010-07-30T22:33:47.981+05:30जो भी हो नीम के
पेड की तरह
सवाल भी खडा है...।
और ...जो भी हो नीम के <br />पेड की तरह<br />सवाल भी खडा है...।<br />और सावन<br />झूम रहा है।"<br /><br /><br /> हर पक्तिं सुन्दर हैDeepak chaubeyhttps://www.blogger.com/profile/14845743567136269530noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-22041185450888057902010-07-30T20:07:58.733+05:302010-07-30T20:07:58.733+05:30सुन्दर कविता अमिताभ जी !
वास्तव में ये सावन आते ही...सुन्दर कविता अमिताभ जी !<br />वास्तव में ये सावन आते ही कुछ ना कुछ याद करता जरूर है ! और आपकी कविता पढ़ कर अब हम भी कुछ कुछ याद करने लगे हैं !<br /><br />वक्त की रस्सी ने गांठ बान्ध दी है।<br />गांठ कसती जरूर है अपनी<br />इच्छाओं को।<br /><br />कुछ गहरी बात कह गये आप ! <br /><br />माफ़ी चाहूँगा इतने दिन गायब हो जाने के लिए :)Nipun Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/16960357101414101878noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-70216136231243567552010-07-30T18:19:08.348+05:302010-07-30T18:19:08.348+05:30बहुत खूब !!...खुबसूरत भाव !!
पहलीबार आपके ब्लॉग पे...बहुत खूब !!...खुबसूरत भाव !!<br />पहलीबार आपके ब्लॉग पे आया , <br />अच्छा लगा ||Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank)https://www.blogger.com/profile/14269190208303983206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-8797859990219220612010-07-30T09:50:38.196+05:302010-07-30T09:50:38.196+05:30करीब एक महीने के बाद मैं वापस आयी हूँ और आकर आपकी ...करीब एक महीने के बाद मैं वापस आयी हूँ और आकर आपकी रचना पढ़कर बेहद अच्छा लगा ! ख़ूबसूरत भाव लिए आपने मनभावक रचना प्रस्तुत किया है! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गयी! बधाई!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-1030764652602646512010-07-28T20:58:26.930+05:302010-07-28T20:58:26.930+05:30सावन, नीम, झूला और उसका घर..कितना खतरनाक संयोजन..इ...सावन, नीम, झूला और उसका घर..कितना खतरनाक संयोजन..इच्छाओं की गाँठें और कसमसाने लगती हैं..अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-83999556757259489002010-07-28T19:26:51.323+05:302010-07-28T19:26:51.323+05:30Yado ke jeewashm me halchal mahsus ki bandhu..
&q...Yado ke jeewashm me halchal mahsus ki bandhu.. <br />"Neem ka ped <br />muze tarane <br />sawan ke <br />sunata tha/ <br />Neem ka ped<br />uske ghar ko<br />chhaya jo deta tha."सुधीर महाजनhttps://www.blogger.com/profile/08679052912179195911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-39223783284501608662010-07-28T07:31:18.523+05:302010-07-28T07:31:18.523+05:30सावन खिलखिला तो रहा है
मगर यौवन की
खिलखिलाहट पर
वक...सावन खिलखिला तो रहा है<br />मगर यौवन की<br />खिलखिलाहट पर<br />वक्त की रस्सी ने गांठ बान्ध दी है।<br />गांठ कसती जरूर है अपनी<br />इच्छाओं को।<br /> पहली बार आपके ब्लॉग पर आये....अच्छा लगा.Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-24963171637777843922010-07-27T23:38:47.632+05:302010-07-27T23:38:47.632+05:30बड़ी पुरानी यादें ताजा हुई इसे पढ़ते..बड़ी पुरानी यादें ताजा हुई इसे पढ़ते..Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-2218934741164215702010-07-27T23:12:34.250+05:302010-07-27T23:12:34.250+05:30कविता की भाषा सीधे-सीधे जीवन से उठाए गए शब्दों और ...कविता की भाषा सीधे-सीधे जीवन से उठाए गए शब्दों और व्यंजक मुहावरे से निर्मित हैं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-63134538298007167422010-07-27T15:09:04.523+05:302010-07-27T15:09:04.523+05:30हमें तो पता ही नही थी कि कल से सावन शुरु हो गए है
...हमें तो पता ही नही थी कि कल से सावन शुरु हो गए है<br />। शाम को जब खाने बैठे तो देखा हमारी बेटी की मम्मी का आज व्रत है सावन का। तब कुछ चीजें याद आई और आज आपकी रचना पढी तो यादें नीम के पेड़ पर झूलने लगी जोकि सिर्फ दिमाग में है<br />,आसपास अब नीम के पेड नही रहे<br />। आने वाले दिनों में ये सब चीजें शहरों में बस डाईग रुम के अंदर फोटो के लिए बनी सिलीप पर बस सजावट की वस्तु रह जाऐगी। संडे को दिल्ली हाट गए थे। तो वहाँ सजावटी छोटी सी चारपाई थी। जो अब घरों में नही मिलती। हमारे घर में एक बचाकर रखी है। अरे ये मैं क्या लिखने लगा। क्या करें जी जो चीजें हमें पसंद है वो सब आधुनिकता में खत्म हो रही है। वैसे आधुनिकता भी जरुरी है पर शाय्द हम सही आधुनिकता नही अपना रहे है<br />। अमिताभ जी आपकी रचना ने उदास कर दिया।<br /> ना जाने क्यूँ आजकल सावन में उदासीयों के बादल ज्यादा उमड़ रहे है। खैर रचना तो पसंद आई जब ही हम पता नही क्या क्या कह गए<br />। हर पक्तिं सुन्दर है। इस आपाधापी में एक ठडी सी फुहार का अहसास करा गई आपकी रचना। वैसे मैं तो उसके घर से निकलने की प्रतीक्षा करता था पर आपका पता नहीं:)सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-40782385402088021792010-07-27T14:24:22.826+05:302010-07-27T14:24:22.826+05:30yadein agar patthar hain to aapne uska mahal khada...yadein agar patthar hain to aapne uska mahal khada kar diya hai!!VIVEK VK JAINhttps://www.blogger.com/profile/15128320767768008022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-10510757624787498602010-07-27T14:13:08.031+05:302010-07-27T14:13:08.031+05:30बहुत खूब ... कुछ बीती हुई बातें ... समय के साथ बदल...बहुत खूब ... कुछ बीती हुई बातें ... समय के साथ बदल जाती हैं ... पर दिल में बसी यादें उगती हैं कई बार किसी न किसी सावन के बहाने ...... लाजवाब अमिताभ जी ........ वैसे सच पूछो तो तो नीम का पेड़ भी अब इतिहास बन कर रह गया है कई जगह ...इस आधुनिकता ने .. और कुछ हद तक पेड़ों के काटने ने भी सावन में झूले का एहसास ख़त्म सा कर दिया है ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-24702911796989670332010-07-27T13:31:44.453+05:302010-07-27T13:31:44.453+05:30बहुत सुन्दर...बहुत सुन्दर...The Straight pathhttps://www.blogger.com/profile/06718150451299029345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-9017190791192530452010-07-27T12:02:19.135+05:302010-07-27T12:02:19.135+05:30अच्छा है!!!!! नीम का पेड़ न जाने किसकी या किस किस ...अच्छा है!!!!! नीम का पेड़ न जाने किसकी या किस किस की रह तकता होगा. यदि ये नीम किसी दिन बोला तो न जाने कितने और किस्से निकलेंगे उसकी उस जर्जर पोटली से. फ़िलहाल तो आपकी कलम से निकला ये, नीम वो झूला और उसके निकलने और न निकलने का संशय अच्छी सी यादें ताज़ा कर गया <br />आभाररचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-10195499647805388782010-07-27T11:50:59.711+05:302010-07-27T11:50:59.711+05:30Mujhe lagta hai aapne is rachna se sabke bachpan k...Mujhe lagta hai aapne is rachna se sabke bachpan ke din yaad dila diye..!<br /><br />khas kar mere.....<br />o neem ka ped aur samne uska ghar...!<br /><br />wah kya baat hai....sidhe dil ko chhu gai..!Ravi Rajbharhttps://www.blogger.com/profile/16224660000339492496noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-79407710392937299722010-07-27T11:33:56.302+05:302010-07-27T11:33:56.302+05:30aapki in sawedansheel panktyion se "neem ka p...aapki in sawedansheel panktyion se "neem ka ped" yaad aa gaya..rahi masum raja ki ek anokhi kriti aur vo ek geet bhi....amitabh ji ..its so touchy!Parul kananihttps://www.blogger.com/profile/11695549705449812626noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5485264961645180772.post-6589753671131050792010-07-27T09:54:42.140+05:302010-07-27T09:54:42.140+05:30'वो भूली दास्ताँ लो फिर याद आ गयी'
मौसम /...'वो भूली दास्ताँ लो फिर याद आ गयी'<br />मौसम /नीम का पेड़/ वही घर और इंतज़ार ...यादें भी पीछा छोडती नहीं हैं,किसी न किसी बहाने दामन थाम ही लेती हैं.<br />इस बार की कविता मन के भावों को शब्द में ढाले हुए खूबसूरत अभिव्यक्ति है.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.com